सिवनी: विवाह धर्म का विषय है, न्यायपालिका, संसद, का नहीं! प्रकृति और समाज व्यवस्था के विरुद्ध कार्य, से प्रकोप, दुराचार,और व्यभिचार बढ़ेंगे! उक्ताश्य के विचार, सनातन धर्म के पूजय संतो ने, ब्राह्मण समाज अध्यक्ष- श्री ओमप्रकाश तिवारी से चर्चा के दौरान व्यक्त किया!
पूज्य धर्माचार्यों ने कहा कि, विवाह, धर्म का विषय है, कानून और संसद का नहीं! सनातन धर्म के 16 संस्कारों में विवाह पवित्र संस्कार माना गया है! पाश्चात्य भोग संस्कृति में, विवाह मात्र कांटेक्ट (संविदा, समझौता) का विषय माना जाता है, धर्म का नहीं!
विश्व की सर्वश्रेष्ठ सनातन जीवन पद्धति में मानव जीवन में 16 संस्कार ,चार पुरुषार्थ, एवं चार आश्रम ,युगों युगों से स्थापित सर्वमान्य व्यवस्था चली आ रही है! संसार के उत्पत्ति काल से ही, मनुष्य एवं प्राणियों में- स्त्री और पुरुष के मिलन से संतान उत्पत्ति और वंश वृद्धि की, प्राकृतिक परंपरा कायम है!
अचर वनस्पति जगत में, भी नदियों का समुद्र से मिलन ,एवं लताओं का वृक्षों से मिलन, प्राकृतिक नियम है!
भारतीय संस्कृति में शांतिपूर्ण परिवार कुटुंब व्यवस्था, से पूरा विश्व आश्चर्यचकित है !और इसी व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने लगातार वैश्विक षडयंत्र रचा जा रहा है!
पूज्य संतों ने सावधान करते हुए ,अप्राकृतिक संबंधों के परिणाम, दुष्प्रभाव का उल्लेख किया कि, मनुष्य में समलैंगिक संबंध, पशु से भी निम्न घृणित सोच है, प्रकृति के विरुद्ध कार्य करने से प्रकृति ,कुपित होकर प्रतिशोध लेती है! अनावृष्टि, भूकंप, महामारी, अशांति, इसी का दुष्परिणाम हैं!
पृथ्वी में मानव मात्र के अस्तित्व की रक्षा हेतु भारतीय संस्कृति और जीवन पद्धति अपनाना ही एकमात्र उपाय है. समलैंगिक विवाह मान्यता से पारिवारिक कुटुंब व्यवस्था नष्ट भ्रष्ट हो जावेगी! बहन का बहन से, भाई का भाई से अनैतिक संबंध होने से, मनुष्यता कलंकित होगी!
मनमाने कानून से दुराचार बढ़ेंगे, मानव वंश विच्छेद से जन्म दर में विसंगति पैदा होगी! पाश्चात्य भोगविलास तथा व्याभिचारको बढ़ावा मिलेगा!लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वतंत्रता के साथ ही स्व- अनुसाशन मूल कर्तव्य माना गया है!
सनातन सद्संकल्प हमेशा से उदघोषित है कि- धर्म की जय हो* ,अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो ,विश्व का कल्याण हो! 🙏🚩🙏 विचार संकलन:- पं.ओमप्रकाश तिवारी अध्यक्ष- 🚩जिला ब्राह्मण समाज सिवनी🚩