डिप्रेशन के कारण भी होता है बच्चों के मूड में बदलाव, इस प्रकार समझें इसे

SHUBHAM SHARMA
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कहते हैं बच्चे मन के सच्चे और भगवान का रूप होते है। लेकिन कई बार वे ऐसा कुछ कर जाते हैं जिसे माता-पिता स्वीकारने को तैयार नहीं होते। हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है। कभी उसके व्यवहार में अप्रत्याशित परिवर्तन दिखाई देता है जो स्वीकार्य नहीं होता। कुछ बच्चों में ये बदलाव सामान्य होता है लेकिन ज्यादातर इस तरह का बदलाव परेशानियों को लाता है। कुछ बच्चों में बदलाव अधिक तीव्र और नकारात्मक होता है जिससे उनका व्यवहार अचानक बदल जाता है। बच्चे में मूड स्विंग और अचानक व्यवहार में बदलाव आने के कई कारण होते हैं।

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शारीरिक बदलाव

बढ़ते बच्चों की उम्र के सबसे अहम बदलाव होता है शारीरिक बदलाव। कई बार बच्चे अचानक होने वाले बदलावों को स्वीकार नहीं कर पाते। ऐसा होने पर उनके मन में उलझन बढ़ जाती है और वो किसी से शेयर करने में हिचकते हैं। लड़के-लड़कियों में अलग-अलग तरह के बदलाव होते हैं। मानसिक-भावनात्मक और बौद्धिक बदलावों से उनका मूड और मन किसी एक बात पर ठहर नहीं पाता और दिमाग सवालों से भरा रहता है।




कुछ अन्य कारक मूड को ट्रिगर कर सकते हैं जैसे:

•तनाव

•जीवन में कोई महत्वपूर्ण बदलाव

•आपका आहार

•नींद की आदतें

•दवाएं

मूड में बदलाव के होते हैं ये लक्षण

•90 फीसदी किशोर (उम्र 10 -16) स्कूल से भागते हैं।

•70 प्रतिशत में तनाव, मूड स्विंग, व्यर्थता बोध जैसे लक्षण पनप रहे हैं।

•40 से 50 फीसदी को सिर दर्द, वजन संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं।

•43 प्रतिशत को परीक्षा भय सताता है।

•40 फीसदी किशोर सिब्लिंग राइवलरी से त्रस्त हैं।

•36 फीसदी छात्र स्कूल से परेशान हैं।

•20 प्रतिशत सजा से घबराते हैं।

•17 फीसदी माता-पिता की टोकने की आदत से परेशान हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट

“डिप्रेशन एंड अदर कॉमन मेंटल डिसऑर्डर ग्लोबल हेल्थ एस्टीमेट” द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में सुसाइड से मरने वालों में सबसे ज्यादा प्रभावित टीनएज ग्रुप के लड़के-लड़कियां होते हैं।

अभिभावक हैं बच्चों के तनाव का कारण

घरेलू विवाद है डिप्रेशन का कारण: 90 फीसदी अवसादग्रस्त किशोर (12 -18) घरेलू विवादों के चलते परेशान होते हैं। हालांकि उन्हें झगड़े का कारण नहीं पता होता।

अभिभावकों का दबाव: 46 फीसदी अवसादग्रस्त टीनएजर अच्छे से अच्छा परिणाम लाने के माता-पिता के दबाव से परेशान हैं।

अभिभावक भी हैं जिम्मेदार: 50 फीसदी इसलिए अवसाद में हैं, क्योंकि उनके अभिभावक उनकी जिंदगी के हर पहलू को नियंत्रित करना चाहते हैं।

क्या कहते हैं एक्सरपर्ट

मुंबई स्थित हेल्थ एंड वेलनेस क्लिनिक की डॉ. भावी मोदी का कहना है कि भारत में इन दिनों टीनएज डिप्रेशन से मरने वालों की संख्या काफी बढ़ गयी है।

डब्लूएचओ की रिपोर्ट

साल 2015 में डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीनएज डिप्रेशन के मरीजों की संख्या पांच करोड़ से ज्यादा है और पूरी दुनिया में डिप्रेशन के कारण सुसाइड करने वालों लोगों में अधिकांश टीनएज ही हैं।

बच्चों के व्ययवहार में आए बदलाव को यूं करें ठीक

यदि आप लगातार और गंभीर मूड स्विंग का अनुभव करते हैं, तो आइये आपको बताते हैं कैसे अपने बच्चे के मूड स्विंग्स और व्यवहार में आये अचानक बदलाव को सही करें।

•बच्चों के संघर्ष को समझें: बच्चे घर के कार्य, स्कूल और सामाजिक समस्याओं से हर दिन के जूझते हैं, इसलिए उनका जीवन भी काफी तनावपूर्ण है। उन्हें समझकर उन्हें समर्थन प्रदान करने का प्रयास करें।

•घर वालो का सपोर्ट: शोध बताते हैं कि ऐसे बच्चे भी दोस्तों के प्रभाव में जल्दी आते हैं, जिन्हें घर में कम सपोर्ट मिलता है। घर में प्यार न मिलने पर बच्चे उसे बाहर तलाशने लगते हैं। उनकी भावनात्मक असुरक्षा का फायदा चालाक छात्र उठा लेते हैं।

•स्वस्थ आहार लें: एक संतुलित, स्वस्थ आहार आपकी मनोदशा को सुधार सकता है और आपको स्वस्थ रख सकता है।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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