सिवनी जिले की बरघाट तहसील में 13वीं सदी का हिमांदपंथी स्थापत्य शैली में बना प्राचीन आष्टा मंदिर

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SEONI जिले की BARGHAT तहसील में 13वीं सदी का हिमांदपंथी स्थापत्य शैली में बना प्राचीन आष्टा मंदिर

Seoni News: सिवनी जिले की बरघाट तहसील में स्थित 13वीं सदी के हिमांदपंथी स्थापत्य शैली में निर्मित आष्टा मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर न केवल अपने स्थापत्य और वास्तुकला के लिए जाना जाता है, बल्कि यह नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल भी है। इस मंदिर का निर्माण विदर्भ के यादव राजाओं के शासनकाल में हुआ था और इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किया गया है।

आष्टा मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

13वीं सदी में यादव राजाओं का राज्य विदर्भ और आसपास के क्षेत्रों तक फैला हुआ था। उस समय के प्रख्यात मंत्री हिमांद्रि द्वारा हिमांदपंथी स्थापत्य शैली में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। आष्टा मंदिर अपनी उत्कृष्ट निर्माण शैली के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। मंदिर के निर्माण में प्रयोग की गई लोहे और शीशे की छड़ों से पत्थरों की जुड़ाई, इसे एक अद्वितीय संरचना बनाती है।

आष्टा मंदिर के निर्माण से जुड़ी किवदंतियाँ

जनश्रुतियों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में देवी मां की कृपा से हुआ था। कहा जाता है कि रात में बड़े-बड़े पत्थरों से मंदिर का निर्माण स्वतः हो रहा था, लेकिन जैसे ही लोगों ने इसे देखा, निर्माण कार्य अधूरा रह गया। इस कारण मंदिर के आस-पास अभी भी बड़े पत्थरों की शिलाएँ बिखरी हुई हैं, जो इसकी अधूरी अवस्था को दर्शाती हैं। वर्तमान में यह मंदिर उसी विध्वंस के बचे अवशेषों के रूप में देखा जा सकता है।

Ashta Kali Mandir Barghat
SEONI जिले की BARGHAT तहसील में 13वीं सदी का हिमांदपंथी स्थापत्य शैली में बना प्राचीन आष्टा मंदिर

हिमांदपंथी स्थापत्य शैली की विशेषताएँ

आष्टा मंदिर का निर्माण हिमांदपंथी स्थापत्य शैली में किया गया है, जो विशेष रूप से 13वीं सदी में विकसित हुई थी। इस शैली में प्रमुख रूप से पत्थरों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें लोहे के शिकंजों से जोड़ा जाता है। मंदिर का गर्भगृह चौकोर पत्थरों से बना हुआ है, और दीवारें ऊपर की ओर उठते हुए संकरी होती जाती हैं, जिससे इसका शिखर अत्यंत भव्य दिखता है।

मंदिर के शिखर पर स्थित आमलक (गोलाकार आकृति) भी इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है। मंदिर की निर्माण शैली में लोहे और शीशे की छड़ों का उपयोग इसे अत्यंत मजबूती प्रदान करता है, जो इसे सदियों तक सुरक्षित रखे हुए है।

नवरात्रि में आस्था का केंद्र

नवरात्रि के दौरान, आष्टा मंदिर में हजारों श्रद्धालु अपनी आस्था व्यक्त करने और देवी मां के दर्शन के लिए आते हैं। विशेष रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है, जहां जंवारे और मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में श्रद्धालु माता के समर्पित पूजन और आराधना करते हैं।

मंदिर में स्थित उत्तरमुखी मां काली की 10 भुजाओं वाली पाषाण प्रतिमा विशेष आकर्षण का केंद्र है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मां काली की इस मूर्ति का जीर्णोद्धार भी बीते दो वर्षों से किया जा रहा है, जिससे इसकी पवित्रता और सौंदर्य दोनों में वृद्धि हुई है।

मंदिर की संरचना और स्थापत्य कला

आष्टा मंदिर की स्थापत्य कला का प्रमुख आकर्षण उसकी अनूठी संरचना है। मंदिर का गर्भगृह खाली है, लेकिन इसके पीछे की दीवार से जुड़ी हुई मां काली की प्रतिमा है। मंदिर के निर्माण में प्रयुक्त चौकोर पत्थरों की जुड़ाई, विशेष रूप से लोहे और शीशे की छड़ों का उपयोग करते हुए की गई है, जिससे यह संरचना समय की मार सहते हुए भी खड़ी है।

मंदिर के शिखर पर आमलक और इसके गर्भगृह की दीवारों की संकरी होती हुई संरचना इसे स्थापत्य कला का एक अद्वितीय उदाहरण बनाती है। इसके अलावा, मंदिर के पास स्थित मंडप और दो अन्य मंदिर भी इस शैली के अद्वितीय नमूने हैं।

आष्टा मंदिर का संरक्षण

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस मंदिर का संरक्षण किया जा रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस अद्वितीय स्थापत्य कला और धार्मिक स्थल का महत्व समझ सकें। इसके अलावा, मंदिर के पास स्थित अन्य संरचनाओं को भी संरक्षित करने के प्रयास जारी हैं।

नवरात्रि के दौरान होने वाले आयोजन

नवरात्रि के अवसर पर आष्टा मंदिर में लगने वाले मेले का विशेष महत्व है। इस दौरान हजारों की संख्या में ज्योति कलश स्थापित किए जाते हैं, जिनका विसर्जन एक विशेष आयोजन के रूप में किया जाता है। जब ये सभी ज्योति कलश एक साथ विसर्जन के लिए निकलते हैं, तो यह दृश्य अत्यंत अद्वितीय और श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव से भरा होता है।

आष्टा मंदिर: धार्मिक आस्था का केंद्र

आष्टा मंदिर न केवल स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना है, बल्कि यह धार्मिक आस्था का भी एक प्रमुख केंद्र है। यहां पर आने वाले श्रद्धालु नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और मां काली की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं। मंदिर की पवित्रता और धार्मिक महत्व इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित करता है।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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