आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखंड के सरोरा गांव में करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए जा रहे बांध में गड़बड़ी के आरोप क्षेत्रवासियों ने लगाए हैं। ग्रामीणों व किसानों का कहना है कि सूखे खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए बनाई जा रही नहरों व बांध निर्माण कार्य में नाले की काली रेत व डस्ट का इस्तेमाल ठेकेदार किया जा रहा है।

आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखंड के सरोरा गांव में करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए जा रहे बांध में गड़बड़ी के आरोप क्षेत्रवासियों ने लगाए हैं। ग्रामीणों व किसानों का कहना है कि सूखे खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए बनाई जा रही नहरों व बांध निर्माण कार्य में नाले की काली रेत व डस्ट का इस्तेमाल ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। बगैर तराई कांक्रीटीकरण का कार्य कराया जा रहा है। निर्माण कार्य में मौके पर बाइब्रेटर का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
330 मीटर लंबा बांध
नवंबर 2017 को सरोरा जलाशय निर्माण के लिए 10.36 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। बांध व नहर निर्माण का ठेका 6.17 करोड़ रुपए में मुरादाबाद की मेसर्स ग्रांड कंस्ट्रक्शन को दिया गया है। जबकि शेष राशि भूमि अधिग्रहण व अन्य कार्यों पर खर्च की जानी है। 18 माह की समय अवधि में एजेंसी को बांध का निर्माण कार्य पूरा करना था। करीब 330 मीटर लंबे और 11.5 मीटर ऊंचाई तक बांध का निर्माण कार्य कराया जाना है। बांध से 3 किमी आरबीसी और 2.37 किमी एलबीसी नहर निर्माण का कार्य होना है।
पेटी ठेकेदार करवा रहा निर्माण
बांध में सीओटी व पडल भराई का काम पूरा हो चुका है। बांध के अर्थवर्क व फिल्टर इत्यादि का कार्य ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा है। वहीं नहर निर्माण कार्य में भी गड़बड़ी की जा रही है। बांध व नहर निर्माण का ठेका जल संसाधन विभाग ने मुरादाबाद की मेसर्स ग्रांड कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया है लेकिन कंपनी द्वारा पेटी कांट्रेक्टर नीरज तिवारी से निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। गुणवत्ता को दरकिनार कराए जा रहे निर्माण कार्य पर जल संसाधन विभाग का तकनीकि अमला ध्यान नहीं दे रहा है।
कमजोर बांध, ढहने का खतरा
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले साल तेज बारिश के दौरान बांध का एक हिस्सा बह गया था। इससे आसपास के गांव के कई किसानों के खेतों में लगी फसलें तबाह और बर्बाद हो गई थी। बांध का निर्माण कार्य अंतिम दौर में है। ग्रामीणों के मुताबिक बांध का गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य कराया जा रहा है जो तेज बारिश में पानी का दबाव भी नहीं झेल सकेगा। मौके पर ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य का सूचना बोर्ड भी नहीं लगाया गया है ताकि क्षेत्र के ग्रामीणों को निर्माण कार्य संबंधी जानकारी न मिल सके।