हिंदुओं के व्रत एवं त्यौहार (VIVAH PANCHAMI 2019)। भगवान श्री राम के भक्तों के लिए उत्सव का दिन आ रहा है। आज हम आपको विवाह पंचमी (VIVAH PANCHAMI 2019) को लेकर कुछ बताने वाले है जैसे ,विवाह पंचमी किस तारीख को है , विवाह पंचमी की पूजा का महत्व ,विवाह पंचमी की पूजा विधि , विवाह पंचमी का विवरण तो चलिए शुरू करते है : पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान श्री राम एवं माता सीता के विवाह की वर्षगांठ है। जिस तरह शिवभक्त शिवरात्रि” मनाते हैं उसी तरह राम भक्त ” विवाह पंचमी” का उत्सव मनाते हैं। भारत के कई हिस्सों में या उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा सुखद दांपत्य जीवन की कामना करने वाले दंपति अपने निवास में विधि पूर्वक इस उत्सव का आयोजन करते हैं।
विवाह पंचमी किस तारीख को है
भगवान श्री राम एवं माता सीता का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आयोजित हुआ था। तब से लगातार भारत में इस उत्सव को मनाया जा रहा है। इसे विवाह पंचमी के नाम से पुकारा जाता है। भारत में प्रचलित कैलेंडर के अनुसार विवाह पंचमी 1 दिसंबर 2019 को पड़ेगी।
विवाह पंचमी का विवरण
भगवान श्रीराम से जनक नंदिनी सीता के विवाह का वर्णन श्रीरामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने बड़ी ही सुंदरता से किया है। श्रीरामचरितमानस के अनुसार- महाराजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर रचाया था। सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजा जब भगवान शिव का धनुष नहीं उठा सके। इससे राजा जनक बड़े ही निराश हो गए थे। तब ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्रीराम से आज्ञा देते हुए कहा- हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ।
गुरु विश्वामित्र के वचन सुनकर श्रीराम उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आगे बढ़े। श्रीराम ने बड़ी ही सरलता के साथ वह शिव धनुष उठा लिया जिसे भारत के परमवीर राजा हिला भी नहीं पाए थे। इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया। इसके बाद राजा जनक की घोषणा के अनुसार माता सीता ने प्रभु श्री राम को जयमाला पहनाई। इसी दिन के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष अगहन मास की शुक्ल पंचमी को प्रमुख राम मंदिरों में विशेष उत्सव मनाया जाता है।
विवाह पंचमी की पूजा विधि
प्रात काल उठकर स्नान करें एवं भगवान श्री राम और माता जानकी के विवाह आयोजन का संकल्प लें। स्नान करके विवाह के कार्यक्रम का आरम्भ करें। भगवान राम और माता सीता की प्रतिमाओं की स्थापना करें। भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें। या तो इनके समक्ष बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें या “ॐ जानकीवल्लभाय नमः” का जाप करें। इसके बाद माता सीता और भगवान राम का गठबंधन कर आरती करें। इसके बाद गांठ लगे वस्त्रों को अपने पास सुरक्षित रख लें। भोजन में श्रद्धा अनुसार पकवान बनाएं। पति पत्नी एवं परिवार एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करें एवं जरूरतमंदों को पकवान का दान करें।
विवाह पंचमी की पूजा का महत्व
कहा जाता है कि विवाह पंचमी के दिन प्रभु श्री राम एवं माता सीता का गठबंधन कराने से आगामी 1 वर्ष तक दांपत्य सुख प्राप्त होता है। पति पत्नी में प्रेम प्रगाढ़ होता है। सरल शब्दों में कहें तो वैवाहिक जीवन आनंद पूर्वक व्यतीत होता है। कम से कम तलाक की नौबत नहीं आती।