जीवन के सत्य से साक्षात्कार करवाते शिव – रीना रवि मालपानी

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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कल्याणस्वरूप शिव की प्रत्येक लीला देवताओं, ऋषियों एवं समस्त प्राणीमात्र के लिए प्रेरणादायी है। समस्त देवी-देवताओं में शिव की वेशभूषा अद्भुत एवं विचित्र है। साधक शिव की हर वेशभूषा से जीवन के सत्य को जान सकता है। त्याग, ध्यान में लीन रहने वाले शिव अपनी वेशभूषा से साधक को जीवन का सच्चा अर्थ बताते है। महादेव ने मस्तक पर मोक्षदायिनी भागीरथी एवं चन्द्रमा, ललाट पर त्रिपुंड तिलक, हाथों में डमरू और त्रिशूल, गले मे सर्पो की माला, जटाधारी, बाघम्बर (बाघ चर्म) एवं हस्ति (हाथी चर्म) को धारण करने वाले है। वे शरीर पर भस्म लगाते है, भांग पीते है, शिव के हर प्रतीक के पीछे कुछ न कुछ गूढ़ ज्ञान एवं रहस्य छुपे हुए है।

“महादेव की प्रत्येक वेशभूषा है विचित्र, साधक के जीवन में रचती सत्य का चित्र।
कंठ में विष और सर्प की माला, इस कठिनाई में भी महादेव के ध्यान में न किसी ने विघ्न डाला। डमरू, गंगा, शशि, भस्म और त्रिशूल है शिव के प्रतीक, महाँकाल की शरण में भक्त का जीवन होता निर्भीक।”

शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि जब मोक्षदायिनी गंगा को वसुंधरा पर लाने की प्रार्थना की गई, तब सर्वाधिक चिंता का विषय उनके तीव्र वेग को नियंत्रित करना था। गंगा अपने तीव्र वेग के कारण पृथ्वी को छेदकर पाताल लोक में प्रविष्ट कर जाएगी। तब महादेव ने गंगा को अपनी जटाओं में लेकर उनके वेग को कम किया। उसके पश्चात ही गंगा धरती पर प्रवाहित हो सकी। शिव का एक ज्योतिर्लिंग सोमनाथ है जिसे प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जोकि चन्द्र देव द्वारा स्थापित किया गया था, जहां उन्हे आदिदेव शिव ने श्राप से मुक्त किया था। शिव मस्तक पर चन्द्रमा को धारण करते है। चन्द्रमा मस्तिष्क के मनोभावों को भी नियंत्रित करता है और व्यक्ति की एकाग्रता को बढ़ाता है।

भोलेनाथ के ललाट पर त्रिपुंड तिलक सुशोभित होता है। यह त्रिलोक और त्रिगुण:- सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण को बताता है। त्रिपुंड चंदन या भस्म का होता है। इसी त्रिपुंड में भोलेनाथ का त्रिनेत्र सुशोभित होता है, इसी कारण शिव को त्रिलोचन कहा जाता है। शिव का तीसरा चक्षु सदैव जागृत रहता है परंतु बंद अवस्था में, ऐसी मान्यता है की यदि शिव का तीसरा नेत्र खुल गया तो शिव प्रलयंकर का रूप धारण कर लेंगे जिसके कारण सृष्टि का विनाश हो जाएगा। उमानाथ के हाथो में स्थित डमरू एक वाद्य यंत्र है एवं भोलेनाथ के एक स्वरूप नटराज को संगीत और नृत्य विधा का देव भी माना जाता है। त्रिशूल शिव का अचूक एवं अमोघ अस्त्र है यह भी त्रिगुण:- सतोगुण, रजोगुण एवं तमोगुण का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसी मान्यता है की त्रिशूल तीनों कालों भूतकाल, वर्तमानकाल एवं भविष्यकाल का भी प्रतीक है।

शिव शंभू गले में सर्प को माला के रूप में धारण करते है, सर्प में विष विद्यमान होता है पर भोलेनाथ अपने आसपास विष होने के बावजूद भी चित्त को एकाग्र एवं सदैव सृष्टि के कल्याण में तल्लीन रहते है। नीलकंठ ने सृष्टि के हितार्थ सहज ही विषपान किया था और समस्त संसार की रक्षा की थी इसीलिए उन्हे देवो के देव महादेव की संज्ञा दी गई। नीलकंठ का विषपान सृष्टि के हित में उनके अतुलनीय त्याग को दर्शाता है, क्योकि कोई भी इस विष के सेवन में सक्षम नहीं था। इस विष से जो अग्नि उनके शरीर में उत्पन्न हुई उसे शांत करने के लिए उनको भांग अर्पित की जाती है। जल की धार भी शिव को शीतलता प्रदान करती है, इसीलिए गौरी पति की पूजा में जल का विशिष्ट स्थान है।

जटाधारी विशाल आकाश का प्रतीक है। इसी जटाधारी में आदिनाथ शिव ने कल्याणदायिनी गंगा को धारण कर रखा है। शिव बाघंबर एवं हस्ति चर्म को वस्त्र के रूप में धारण करते है। बाघ हिंसा का एवं हाथी अभिमान को परिलक्षित करता है और महादेव इसको धारण कर हिंसा और अभिमान को दबाने की शिक्षा देते है। जगद्गुरू अपने शरीर पर भस्म लगाते है जो कि मोह और आकर्षण से विरक्ति को बताती है। मानव देह तो पंचतत्वो से निर्मित है और इस नश्वर शरीर का अंत भी इन्ही पंचतत्वो में विलीन होकर हो जाता है। शिव भस्म धारण कर संदेश देते है की मनुष्ययोनि का अंतिम लक्ष्य ईश्वर की आराधना करके इसी रूप में परिवर्तित होना है। शिवपूजन में भस्मारती विशिष्ट है जो कि उज्जैन नगरी में स्थित महाँकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में की जाती है। कल्याणस्वरूप महाँकालेश्वर तो भक्तो को काल पर भी विजय का वरदान देते है।

शिव इतने सरल देव है जो मात्र जल से प्रसन्न होकर भक्त की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण कर देते है। शिव शंकर की प्रत्येक वेशभूषा साधक को जीवन के सत्य से साक्षात्कार करवाती है कि किस प्रकार मानवजीवन त्याग, एकाग्रता, सरलता, सादगी से जीना चाहिए एवं कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ हो उसमे विचलित नहीं होना चाहिए।

डॉ. रीना रवि मालपानी

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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