डेस्क।हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को खास महत्व दिया जाता हैं वही महेश नवमी जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह भगवान भोलेनाथ से जुड़ा हुआ व्रत हैं हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हमेश नवमी मनाई जाती हैंइस साल महेश नवमी व्रत 19 जून दिन शनिवार को पड़ रहा हैं ।
इस अवसर पर भगवान शिव ओर माता पार्वती की विधि पूर्वक पूजा की जाती हैं भगवान भोलेनाथ का एक नाम महेश भी हैं तो आज हम आपको हमेश नवमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
महेश नवमी तिथि और मुहूर्त—
हिंदू पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 18 जून दिन शुक्रवार को रात 8 बजकर 39 मिनट से हो रहा हैं जिसका समापन 19 जून को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर हो रहा हैं।
नवमी की उदयातिथि 19 जून को प्राप्त हो रही हैं ऐसे में महेश नवमी का व्रत शनिवार यानी कल किया जाएगा। 19 जून को पूरे दिन रवि योग बना रहेगा। इसलिए इस साल महेश नवमी रवि योग में मनाई जाएगी।
महेश नवमी का विशेष धार्मिक महत्व होता हैं ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को भगवान शिव की विशेष कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी।
महेश नवमी की पूजा—
नवमी तिथि वाले दिन प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर भगवान शिव और देवी मां पार्वती की पूजा और महेश नवमी व्रत का संकल्प किया जाता हैं इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक अक्षत, चंदन, सिंदूर, भांग, बेलपत्र, मदार, गंगाजल, गाय का दूध, शहद, धूप, दीपक आदि से पूजा करें। फिर मौसमी फल भी अर्पित कर दें। अब शिव चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती जरूर करें। फिर प्रसाद का वितरण करें।