हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि भगवान भैरव को समर्पित होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान भैरव शंकर भगवान के अवतार हैं। कालाष्टमी को भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आज यानी 2 जून को कालाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन विधि- विधान से भैरव भगवान की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान भैरव की पूजा करने से भय से मुक्ति मिलती है।
आइए जानते हैं कालाष्टमी पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त…
शुभ मुहूर्त
कलाष्टमी तिथि प्रारंभ: 02 जून को रात्रि 12 बजकर 46 मिनट से
कलाष्टमी तिथि समाप्त: 03 जून को रात्रि 01 बजकर 12 मिनट पर
महत्व…
1)इस पावन दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है।
2)कालाष्टमी के दिन व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
भैरव बाबा की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।
पूजा- विधि…
1)इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
2)अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखें।
3)घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें।
4)इस समय कोरोना वायरस की वजह से बाहर जाना सुरक्षित नहीं है, इसलिए घर में रहकर ही भगवान भैरव की पूजा- अर्चना करें।
5)इस दिन भगवान शंकर की भी विधि- विधान से पूजा- अर्चना करें।
6)भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और गणेश भगवान की पूजा- अर्चना भी करें।
7)आरती करें और भगवान को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।