Home » धर्म » Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ से जुड़ी यह परंपरा बेहद दिलचस्प है, जिसमें वे रथ पर सवार होकर अपनी प्यारी मौसी के घर जाते हैं

Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ से जुड़ी यह परंपरा बेहद दिलचस्प है, जिसमें वे रथ पर सवार होकर अपनी प्यारी मौसी के घर जाते हैं

By SHUBHAM SHARMA

Published on:

Follow Us
Jagannath Rath Yatra 2024
Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ से जुड़ी यह परंपरा बेहद दिलचस्प है, जिसमें वे रथ पर सवार होकर अपनी प्यारी मौसी के घर जाते हैं

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ पुरी में हर साल आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं। इस यात्रा के माध्यम से वे गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं, जहां कुछ दिनों के विश्राम के बाद वे पुनः अपने धाम लौटते हैं। इस लेख में हम जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्वImportance of Jagannath Rath Yatra 2024

जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अपार है। यह यात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित की जाती है। इस वर्ष यह यात्रा 7 जुलाई 2024 से प्रारंभ होकर 16 जुलाई 2024 को समाप्त होगी। इस दौरान पूरे विश्व से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं।

मूर्तियों का नवकलेवर: हर 12 साल में नया रूप

जगन्नाथ मंदिर की विशेषता यह है कि यहां हर 12 साल में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन की मूर्तियाँ बदली जाती हैं। इस परंपरा को नवकलेवर कहा जाता है, जिसका अर्थ है नया शरीर। यह प्रक्रिया बहुत ही गोपनीय तरीके से की जाती है। मूर्तियाँ लकड़ी से बनी होती हैं, और समय के साथ इनमें विकृति आ सकती है, इसलिए इन्हें नियमित अंतराल पर बदलना आवश्यक होता है।

नवकलेवर की प्रक्रिया के दौरान पूरे पुरी शहर की बत्तियाँ बंद कर दी जाती हैं। मूर्तियों को बदलते समय केवल प्रधान पुजारी उपस्थित होते हैं, और उनकी आंखों पर भी पट्टी बंधी होती है ताकि मूर्ति बदलने की प्रक्रिया गोपनीय बनी रहे।

Jagannath Rath Yatra 2024 में रथ यात्रा के मुख्य रथ और उनकी विशेषताएं

जगन्नाथ रथ यात्रा में तीन मुख्य रथ शामिल होते हैं:

  1. बलभद्र का रथ: सबसे पहले बलभद्र जी का रथ होता है। इसे तालध्वज कहा जाता है।
  2. सुभद्रा का रथ: बीच में बहन सुभद्रा का रथ चलता है, जिसे देवदलन कहा जाता है।
  3. जगन्नाथ का रथ: सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है, जिसे नंदीघोष या गरुड़ध्वज कहा जाता है।

प्रत्येक रथ को विशेष प्रकार से सजाया जाता है और इन्हें भक्तों द्वारा खींचा जाता है। यह दृश्य अत्यंत भव्य होता है और श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत प्रेरणादायक होता है।

गुंडिचा मंदिर: भगवान का विश्राम स्थल

गुंडिचा मंदिर वह स्थान है जहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथ यात्रा के दौरान पहुंचते हैं और कुछ दिनों के लिए विश्राम करते हैं। इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। गुंडिचा मंदिर में भगवान का ठहराव और विश्राम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यहाँ पर भी श्रद्धालु भारी संख्या में उपस्थित होते हैं और भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।

जगन्नाथ मंदिर का महत्व और विशेषताएं

पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं के चार धामों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व अत्यंत उच्च है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं। मंदिर का स्थापत्य और धार्मिक परंपराएं श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।

रथ यात्रा की तैयारियाँ और आयोजन

रथ यात्रा की तैयारियाँ कई महीनों पहले शुरू हो जाती हैं। लकड़ी के विशाल रथ तैयार किए जाते हैं, जिन्हें विशेष प्रकार की सजावट से सजाया जाता है। स्थानीय कारीगर और कलाकार इसमें भाग लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखा जाता है, ताकि सभी श्रद्धालु सुरक्षित रूप से भगवान के दर्शन कर सकें।

जगन्नाथ रथ यात्रा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है। यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। रथ यात्रा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण किया जाता है और उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट की जाती है।

यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के अनुभव

यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं और भगवान जगन्नाथ के दर्शन का आनंद लेते हैं। भक्तों का उत्साह और भक्ति देखते ही बनती है। सभी लोग मिलकर रथों को खींचते हैं और भगवान के प्रति अपनी असीम श्रद्धा प्रकट करते हैं। यह अनुभव जीवनभर के लिए स्मरणीय होता है।

2024 की रथ यात्रा: महत्वपूर्ण तिथियाँ

इस वर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 की तिथियाँ इस प्रकार हैं:

  • 7 जुलाई 2024: रथ यात्रा का प्रारंभ
  • 16 जुलाई 2024: रथ यात्रा का समापन

इन तिथियों पर लाखों श्रद्धालु पुरी में उपस्थित होंगे और इस भव्य यात्रा का हिस्सा बनेंगे।

SHUBHAM SHARMA

Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment

HOME

WhatsApp

Google News

Shorts

Facebook