इंदौर (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में शुक्रवार को एक बेहद दुर्लभ और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। महाराजा तुकोजीराव अस्पताल (एमटीएच) में सी-सेक्शन के ज़रिए एक बच्ची का जन्म हुआ, जिसके दो सिर, दो दिल, चार हाथ और दो पैर हैं, लेकिन उसका धड़ और पेट एक ही है। चिकित्सक इस घटना को चिकित्सकीय विज्ञान की सबसे जटिल और अत्यंत दुर्लभ स्थिति बता रहे हैं।
फिलहाल PICU में है बच्ची
जन्म के तुरंत बाद बच्ची को गंभीर स्थिति को देखते हुए एमवाय अस्पताल के पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (PICU) में भर्ती कराया गया, जहाँ उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची की हालत अभी स्थिर है और 24 घंटे लगातार निगरानी की जा रही है।
डॉक्टरों ने एक अनोखी बात साझा की कि जब एक सिर रोता है तो दूसरे सिर के अंग प्रतिक्रिया देते हैं और जाग जाते हैं।
दंपति का पहला बच्चा
जानकारी के अनुसार यह दंपति का पहला बच्चा है। फिलहाल एक मेडिकल टीम उसकी पूरी निगरानी कर रही है और आगे की मेडिकल जाँच की योजना बना रही है।
क्या है यह दुर्लभ स्थिति?
डॉक्टरों के मुताबिक, इस तरह की स्थिति को संयुक्त जुड़वाँ (Conjoined Twins) कहा जाता है। बच्ची को चिकित्सकीय भाषा में पैरापैगस डाइसेफालस (Parapagus Dicephalus) कहा जाता है। इसमें दो सिर एक ही धड़ पर होते हैं और ज्यादातर महत्वपूर्ण अंग साझा रहते हैं।
विश्व स्तर पर यह स्थिति बेहद दुर्लभ है और यह लगभग 50,000 से 200,000 जन्मों में केवल एक बार देखने को मिलती है।
सर्जरी की संभावना लगभग नामुमकिन
डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि इस बच्ची को सर्जरी से अलग करना संभव नहीं है, क्योंकि ज्यादातर मुख्य अंग साझा हैं। इस कारण मेडिकल साइंस के लिए भी यह चुनौतीपूर्ण मामला है।
पहले भी हो चुका ऐसा मामला
जुलाई महीने में इंदौर में ही ऐसा एक और मामला सामने आया था। तब भी एक बच्ची का जन्म दो सिर और एक ही धड़ के साथ हुआ था। वह बच्ची 16 दिन तक जीवित रही, लेकिन फिर उसकी मृत्यु हो गई।
जीवित रहने की संभावना मात्र 0.1%
विशेषज्ञों के अनुसार इस स्थिति में बच्चे के जीवित रहने की संभावना 0.1% से भी कम होती है। पिछले मामले में एक दिल कमजोर और दूसरा दिल क्षतिग्रस्त था, जिसके चलते बच्ची का जीवन बचाना असंभव हो गया था।
मेडिकल साइंस के लिए चुनौती
इंदौर की यह घटना सिर्फ परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे मेडिकल समुदाय के लिए भी बड़ी चुनौती है। डॉक्टरों का कहना है कि आने वाले दिनों में बच्ची की स्थिति कैसी रहती है, यह निरंतर निगरानी और जांच के बाद ही पता चल पाएगा।