भारत में जनजातीय समाज को सशक्त और प्रौद्योगिकी से समृद्ध बनाने के लिए सरकार लगातार कई कदम उठा रही है। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहल है जनजातीय कार्य विभाग द्वारा जनजातीय विद्यार्थियों के लिए विशिष्ट शिक्षण संस्थाओं में डिजीटल बोर्ड की स्थापना। यह कदम न केवल शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देगा, बल्कि विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर को भी ऊँचा करेगा।
डिजीटल बोर्ड की स्थापना – एक शैक्षिक क्रांति
सरकार द्वारा जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने घोषणा की है कि डिजीटल बोर्ड को जनजातीय विद्यार्थियों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए विभिन्न कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा। यह कदम उन विद्यालयों के लिए है जो ई-लर्निंग और आधुनिक तकनीकी उपकरणों के माध्यम से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
ईएमआरएस (एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों) में डिजीटल बोर्डों की स्थापना की प्रक्रिया अब तेज़ी से शुरू हो चुकी है। इससे विद्यार्थियों को एक इंटरैक्टिव और आधुनिक अध्ययन अनुभव मिलेगा। डिजीटल बोर्ड न केवल पढ़ाई के तरीके को बदलने में सहायक होंगे, बल्कि वे विद्यार्थियों को इंटरनेट, मल्टीमीडिया और विभिन्न डिजिटल संसाधनों से जोड़ेंगे।
केपिटल मद से क्रय और स्थापन की प्रक्रिया
विभाग ने डिजीटल बोर्ड की खरीद और स्थापना के लिए केपिटल मद से धनराशि की व्यवस्था की है। इस योजना के तहत, राज्य सरकार ने पहले से तय किए गए संसाधनों का उपयोग करके इन बोर्डों की आपूर्ति और स्थापना की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप, जनजातीय विद्यार्थियों को अब एक बेहतर शैक्षिक माहौल मिलेगा, जो उन्हें न केवल कक्षा में अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी के महत्व से भी परिचित कराएगा।
कन्या शिक्षा परिसरों और आदर्श आवासीय विद्यालयों में डिजीटल बोर्ड की स्थापना
डॉ. कुंवर विजय शाह ने यह भी बताया कि इस कदम को केवल एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि यह कन्या शिक्षा परिसरों और आदर्श आवासीय विद्यालयों तक भी विस्तारित किया जाएगा। इन विद्यालयों में डिजीटल बोर्ड स्थापित करने से शैक्षिक प्रणाली को और अधिक सशक्त किया जाएगा।
इस पहल से विद्यार्थियों को इंटरनेट आधारित शिक्षा और अन्य डिजिटल सामग्री का उपयोग करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनके ज्ञान में वृद्धि होगी और वे अधिक आत्मनिर्भर बनेंगे। इस प्रकार की शैक्षिक व्यवस्था में ऑनलाइन कक्षाएं, वीडियो ट्यूटोरियल्स, और इंटरएक्टिव लर्निंग मटीरियल्स की मदद से विद्यार्थियों का शैक्षिक स्तर और मानसिक विकास होगा।
ई-लाइब्रेरी – डिजिटल संसाधनों के साथ शिक्षा का नया दृष्टिकोण
डॉ. कुंवर विजय शाह ने यह भी बताया कि ई-लाइब्रेरी की शुरुआत की जाएगी। सभी 89 जनजातीय विकासखंड़ों के मुख्यालयों में ई-लाइब्रेरी की स्थापना की योजना बनाई गई है। इन लाइब्रेरीज़ के माध्यम से विद्यार्थियों को ऑनलाइन रीडिंग मटीरियल्स, ई-बुक्स, और ऑनलाइन जर्नल्स उपलब्ध होंगे।
ई-लाइब्रेरी के लाभों में विद्यार्थियों को विविध प्रकार के शैक्षिक संसाधनों का निरंतर उपयोग करने का अवसर मिलेगा। ये संसाधन विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में गहरी समझ प्रदान करेंगे और उन्हें अध्ययन के नए तरीके सीखने में मदद करेंगे।
ई-लाइब्रेरी की क्रियान्वयन रूपरेखा
ई-लाइब्रेरी की स्थापना के लिए एक क्रियान्वयन रूपरेखा तैयार की गई है। इस रूपरेखा में उपकरणों की आपूर्ति और स्थापना, साथ ही लाइब्रेरी के संचालन के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार से इन प्रस्तावों के लिए अनुमति और बजट आवंटन प्राप्त करने की प्रक्रिया को भी शुरू किया जा चुका है।
पीवीटीजी छात्रावास भवनों का निर्माण – कमजोर जनजातियों के लिए बेहतर शैक्षिक अवसर
प्रदेश में पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) जैसे बैगा, भारिया, और सहरिया जनजातियों के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास भवन बनाए जाएंगे। इन भवनों की स्थापना से इन विशेष जनजातियों के विद्यार्थियों को संभागीय मुख्यालयों में रहने और पढ़ाई करने की सुविधा मिलेगी।
छात्रावास भवनों की स्थापना की योजना
प्रथम चरण में, जबलपुर और ग्वालियर में पीवीटीजी छात्रावास भवन बनाए जाएंगे। इसके बाद, शहडोल संभागीय मुख्यालय में भी एक ऐसा ही छात्रावास भवन बनाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। इन छात्रावासों का उद्देश्य पीवीटीजी विद्यार्थियों को एक सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण प्रदान करना है, जिससे वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें और अपनी शिक्षा पूरी कर सकें।
सारांश और भविष्य की दिशा
जनजातीय कार्य विभाग द्वारा उठाए गए ये कदम प्रौद्योगिकी के उपयोग और शिक्षा में सुधार के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। डिजीटल बोर्ड, ई-लाइब्रेरी, और पीवीटीजी छात्रावास भवन की योजनाएं विद्यार्थियों को एक समृद्ध शैक्षिक अनुभव प्रदान करेंगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगी।
इस पहल से शिक्षा का स्तर बढ़ेगा, और विद्यार्थी दुनिया भर में तकनीकी उन्नति से तालमेल बनाए रखने में सक्षम होंगे। यह कदम जनजातीय समाज को प्रौद्योगिकी की दिशा में एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगा और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करेगा।
यह योजनाएं न केवल शैक्षिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये प्रदेश की समाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।