नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार 19 मार्च को मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट पर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट से जारी आदेश के अनुसार मध्यप्रदेश में कल 20 मार्च को विधानसभा में बहुमत परीक्षण होगा. कोर्ट के आदेश के अनुसार उसी दिन फ्लोर टेस्ट हो हाथ उठा कर मतदान हो और उसकी वीडियोग्राफी भी होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि 16 विधायक अगर बहुमत परीक्षण में आना चाहते है तो कर्नाटक DGP और मध्यप्रदेश DGP सुरक्षा मुहैया कराए.
मध्य प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट आज चार बजे सुनवाई खत्म हुई.
सुनवाई में मध्य प्रदेश स्पीकर के वकील मनु सिंघवी ने दलील दी, ‘सिर्फ फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है. स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना ज़रूरी. अब इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे.’
सिंघवी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के विवेकाधिकार में दखल नहीं दे सकता. सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता (disqualification) तय करने का अधिकार है. अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता। इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपना शुरू कर दिया. वैसे तो कोर्ट को स्पीकर के लिए कोई समय तय नहीं करना चाहिए. स्पीकर को समय दिया देना चाहिए. लेकिन फिर भी आप कह दीजिए कि उचित समय मे स्पीकर तय करे तो वह 2 हफ्ते में तय कर लेंगे.’
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे?’
सिंघवी ने कहा, ‘आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं. ऐसा किये बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए. अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को अपने वोटर से मिलने क्यों नहीं दिया गया?’
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने पूछा, ‘MLA राज्यसभा चुनाव में व्हिप से बंधे होते हैं?’
सिंघवी ने कहा, हां
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘तब वोटर से मिलने की दलील का क्या मतलब रह गया?’