जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा है कि वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा द्वारा आज विधानसभा में प्रस्तुत बजट 2024-25 में निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं और नए कार्यों के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है। इससे मध्यप्रदेश में सिंचाई के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। इस बजट के माध्यम से प्रदेश में सिंचाई के क्षेत्र में स्थायी और दूरगामी सुधार लाने के लिए विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के लिए समुचित धनराशि आवंटित की गई है। आइए, इस बजट के प्रमुख बिंदुओं पर विस्तृत नज़र डालते हैं और यह समझते हैं कि ये प्रावधान किस प्रकार से प्रदेश के कृषि और सिंचाई क्षेत्र को लाभान्वित करेंगे।
बजट 2024-25 में सिंचाई क्षेत्र के लिए किए गए प्रमुख प्रावधान
वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा द्वारा प्रस्तुत बजट में सिंचाई क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के लिए कुल 6,539 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस बजट के माध्यम से सिंचाई क्षेत्र की संवृद्धि और विकास को नई दिशा मिलेगी। आइए, जानते हैं कि इन प्रावधानों का विशेष महत्व और उनका संभावित प्रभाव क्या होगा।
1. बांध और संलग्न कार्यों के लिए 2860 करोड़ रुपये
बजट में बांध और संलग्न कार्यों के लिए 2860 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह राशि प्रदेश में वर्तमान बांध परियोजनाओं के पूर्ण कार्य और नए बांधों के निर्माण के लिए उपयोग की जाएगी। बांधों का निर्माण सिंचाई की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ जल संचयन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से जल की उपलब्धता में सुधार होगा और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
2. नहर और उनसे संबंधित निर्माण कार्यों के लिए 1197 करोड़ रुपये
नहरों और उनसे संबंधित निर्माण कार्यों के लिए 1197 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नहरों के विस्तार और पुनर्निर्माण से सिंचाई के क्षेत्र में विस्तार और सुधार होगा। इससे न केवल खेतों तक पानी की पहुंच सुनिश्चित होगी, बल्कि पुरानी नहरों की मरम्मत और नई नहरों के निर्माण से सिंचाई की क्षमता में भी वृद्धि होगी।
3. कार्यपालिक स्थापना के लिए 1071 करोड़ रुपये
कार्यपालिक स्थापना के लिए 1071 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह राशि सिंचाई परियोजनाओं के प्रबंधन और संचालन के लिए आवश्यक संसाधनों और सुविधाओं की व्यवस्था में खर्च की जाएगी। इसके तहत अधिकारियों और कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण, और प्रशासनिक खर्चों के लिए यह राशि उपयोग की जाएगी। इससे सिंचाई परियोजनाओं की प्रभावी निगरानी और संचालन सुनिश्चित होगा।
4. लघु एवं लघुतम सिंचाई योजनाओं के लिए 631 करोड़ रुपये
लघु और लघुतम सिंचाई योजनाओं के लिए 631 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इन योजनाओं का उद्देश्य छोटे किसान और सीमांत किसानों के लिए सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध कराना है। लघु सिंचाई परियोजनाओं में बूंद-बूंद सिंचाई, पानी की पुनर्चक्रण, और जलवायु अनुकूल तकनीकों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे छोटे किसानों को लाभ होगा और उनकी फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होगी।
5. सिंचाई और पेयजल योजनाओं का सौर ऊर्जीकरण के लिए 200 करोड़ रुपये
सौर ऊर्जीकरण के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस पहल का उद्देश्य सिंचाई और पेयजल योजनाओं में सौर ऊर्जा का उपयोग करके हरित ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देना है। सौर ऊर्जा का उपयोग न केवल ऊर्जा लागत को कम करेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा।
6. केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपये
केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस परियोजना के तहत केन और बेतवा नदियों के बीच पानी का आदान-प्रदान किया जाएगा, जिससे क्षेत्र के सूखा प्रभावित इलाकों में सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध होंगी और पेयजल संकट की समस्याओं का समाधान होगा।
7. बांध और नहरों के लिए 116 करोड़ रुपये
बांध और नहरों के रखरखाव और सुधार के लिए 116 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि का उपयोग मौजूदा बांधों की मरम्मत, नहरों की सफाई, और पानी के वितरण में सुधार के लिए किया जाएगा। इससे मौजूदा सिंचाई ढांचे की क्षमता बढ़ेगी और भविष्य में जल प्रबंधन में सुधार होगा।
8. नहरों और तालाबों के लिए 110 करोड़ रुपये
नहरों और तालाबों के निर्माण और पुनर्निर्माण के लिए 110 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नहरों और तालाबों का निर्माण सिंचाई की बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करेगा। ये ढांचे जल संरक्षण और सिंचाई की दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सिंचाई क्षेत्र में बजट प्रावधानों का महत्व
इस बजट के माध्यम से किए गए प्रावधान सिंचाई क्षेत्र में स्थायी सुधार और वृद्धि के लिए एक ठोस आधार तैयार करेंगे।
- कृषि उत्पादकता में सुधार: नई नहरों, बांधों, और सिंचाई परियोजनाओं से किसानों को भरपूर जल उपलब्ध होगा, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी।
- जलवायु परिवर्तन से निपटना: सौर ऊर्जा का उपयोग और सिंचाई योजनाओं का विस्तार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायक होगा।
- विवाद समाधान: केन-बेतवा लिंक परियोजना जैसे राष्ट्रीय परियोजनाओं से पानी की उचित वितरण योजनाओं के माध्यम से क्षेत्रीय जल विवादों का समाधान किया जाएगा।
- कृषि क्षेत्र को मजबूत करना: लघु सिंचाई योजनाओं और अन्य परियोजनाओं से छोटे और सीमांत किसानों की समस्याओं का समाधान होगा और उनकी जीवनशैली में सुधार आएगा।