मुरैना, । क्वारी नदी ने भी रौद्र रूप धारण कर लिया है। नदी किनारे के कई गांवों में पानी भर गया है। सैकड़ों ग्रामीण सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर गए हैं।
बताया जाता है कि क्वारी ने अपने तट पचास साल बाद लांघे हैं। आधी सदी पूर्व वर्ष 1971 में इससे भी भयानक स्थिति बनी थी। उस समय क्वारी नदी किनारे के कई गांव डूब गए थे।
पचास साल पूर्व बाढ़ की विभीषिका झेल चुके लोगों का कहना है कि क्वारी नदी की बाढ़ से सबसे ज्यादा पशु हानि हुई थी। लोगों के घरों में रखे सामान बह गए थे। लेकिन इसके बाद क्वारी नदी शांत हो गई। अब क्वारी नदी का फिर वही रूप देखने को मिल रहा है।
1971 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि जब चंबल नदी के अलावा किसी नदी ने अपनी सीमाऐं लांघी हैं। जिले की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण नदी क्वारी इस समय दस मीटर अधिक बह रही है। गौरतलब है कि कुछ साल से तो यह स्थिति थी कि क्वारी नदी लगभग पूरी तरह सूख चुकी थी।
घनघोर बारिश में भी क्वारी नदी में पानी खतरे के निशान तक नहंी पहुंचता था। यही वजह थी कि नदी किनारे ही कई लोगों ने अपने मकान बना लिए थे। क्यों कि लोगों ने यह सोचा ही नहीं था कि क्वारी नदी कभी अपने तट भी लांघ सकती है।
लेकिन इस बार क्वारी ने न केवल अपनी सीमा लांघी बल्कि ग्रामीणों को घरों से पलायन करने को भी मजबूर कर दिया। क्वारी नदी किनारे के कई गांवों के लोग अपना घर छोड़कर अपने किसी रिश्तेदार या अन्यत्र रहने पहुंच गए हैं।