मुरैना, । जिले में चंबल व क्वारी का रौद्र रूप बुधवार को देखने को मिला। इन दोनों नदियों के एक सैकड़ा से अधिक तटीय गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। कई गांवों में स्थिति यह हो गई कि ग्रामीण अपनी जान बचाकर किसी तरह पानी से निकलकर आए हैं।
वह अपने साथ जरूरी सामान भी नहीं लेकर आ पाए। एक ओर जिले भर में बाढ़ का पानी हाहाकार मचा रहा है तो दूसरी ओर प्रशासन नींद से तब जागा है जब जिले के हजारों लोग बाढ़ में घिर गए और उन्हें पलायन कर भागना पड़ा। प्रशासन को यह भली भांति पता है कि चंबल किनारे के एक सैकड़ा गांवों में लगभग हर साल बाढ़ की स्थिति बनती है।
लेकिन इसके बावजूद पहले से कोई व्यवस्था नहंी की गई। अधिकारियों की बैठकों में ही बाढ़ से बचाव के निर्देश देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ ली गई।
सबलगढ़, कैलारस, जौरा, मुरैना, अंबाह एवं पोरसा के करीब 89 गांव ऐसे हैं जिनमें चंबल में पानी खतरे के निशान से उपर आने पर बाढ़ आ ही जाती है। लेकिन इस बार क्वारी नदी भी अपने तट लांघ गई और उसने भी रौद्र रूप धर लिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि इन दोनों नदियों के तटीय गांव जिनकी संख्या डेढ़ सैकड़ा के करीब है, उनमें पानी घुस गया।
बुधवार की बात करें तो चंबल किनारे के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। इन गांवों में मंगलवार से ही पानी बढऩा प्रारंभ हो गया था। लेकिन आज सुबह तो चंबल में राजघाट पुल से भी दो मीटर उपर तक बहने लगा। इसका नतीजा यह हुआ कि कई गांव तो पूरी तरह जलमग्न हो गए।
वैसे तो चंबल किनारे के गांवों में से मंगलवार को ही पलायन प्रारंभ हो गया था, लेकिन बुधवार को तो स्थिति खराब हो गई। जिले के ऐसे कई गांव हैं जो पूरी तरह जलमग्न हो गए। यहां तक कि गांवों में दस-दस फीट तक पानी भर गया।
कुछ गांवों में तो यह हालात रहे कि लोग जल्दबाजी में अपना सामान भी नहीं ले सके और उन्हें घर छोड़कर जाना पड़ा, हालांकि कुछेक स्थानों से एनडीआरफ एवं एसडीआरएफ के दलों ने ग्रामीणों को मोटर बोट व नाव के जरिए पानी से निकालकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया, लेकिन अधिकांश स्थानों पर ग्रामीणों को स्वत: ही बाढ़ के पानी से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचना पड़ा। कई ग्रामीणों को ट्यूब के सहारे जाते हुए देखा गया।
नाव से निकाले ग्रामीण:
सबलगढ़ तहसील के अटार ज्ञेत्र स्थित मनपुरा गांव के लोग आज चंबल नदी के पानी में घिर गए। यहां से प्रशासन के सहयोग से नाव के जरिए लोगों को पानी से बाहर निकाला गया। इसके अलावा बरवासिन एवं रतनबसई गांव के लोगों को भी नाव के जरिए रेस्क्यू किया गया।