भिण्ड । उम्र 82 साल, जनता महाविद्यालय बकेबर से हॉर्टिकल्चर के विभागाध्यक्ष के पद से रिटायर्ड। गरीबो को न्याय दिलाने का जुनून ऐसा की 40 किमी दूर इटावा से भिण्ड आकर परीक्षा दी।
बता दें कि छठवें सेमेस्टर की अंतिम परीक्षा देकर जब वे गर्ल्स कालेज किला परिसर से निकले इस बुजुर्ग के चेहरे पर हाव भाव ऐसे थे जैसे कोई बड़ी जंग जीत ली हो। 30 साल तक अध्यापन कार्य करने के बाद 4 अगस्त 1940 को जन्मे प्रो. ओंकारनाथ त्रिवेदी 2001 में सरकारी सेवा से रिटायर्ड हो गए थे ।
उनका एक बेटा ऑस्ट्रेलिया में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है वेतन करीब 5 लाख मासिक के आसपास। बेटी भी अमेरिका में वेलसेटिल्ड है। पत्नी सरोज कुमारी त्रिवेदी हायरसेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य पद से रिटायर्ड है।
त्रिवेदी कहते हैं कि बैठे बैठे एक दिन ख्याल आया कि क्यों न गरीबो को इंसाफ दिलाने का काम किया जाए लेकिन कानून की डिग्री नहीं थी। आरटीआई के तहत जानकारी मांगो तो भी वकील की जरूरत। इस लिए सोचा क्यों न एलएलबी कर गरीबो की मदद कीजाए। बस क्या था, शहर के चौ. दिलीपसिंह लॉ कालेज में प्रवेश ले लिया।
प्रो. त्रिवेदी कहते हैं कि गरीब को सस्ता और जल्दी न्याय मिल जाए यही उनकी मंशा है। कानूनी सहायता के दौरान किसी से एक पैसा भी नहीं लेगे। जरूरत महसूस की तो आर्थिक मदद भी करेंगे, वो भी बिना किसी भेदभाव के । मेरे पास पैसों की कमी नहीं है, मुझे और पत्नी को मिलाकर पेंशन ही करीब दो लाख रूपए मासिक मिल रहे हैं। बेटा को भी पैसो को जरूरत नहीं।
प्रो त्रिवेदी बतातें है कि जब मेरी एलएलबी की पढ़ाई के बारे में बेटा और बेटी को पता चला तो वे बोले -पापा इस उम्र में पढ़ाई, मैने कहा कि- क्यों पढ़ाई की भी कोई उम्र होती है क्या।
गल्र्स कॉलेज के केंद्राध्यक्ष प्रो. राजेश सिंह भदौरिया बताते हैं कि प्रो. त्रिवेदी के मन में जो जुनून है इस उम्र के किसी बुजुर्ग में मैंने आज तक नहीं देखा। परीक्षा के दौरान वे 30 मिनट पहले आ जाते हैं। कृषि विज्ञान के विद्वान होने के बाद भी उन्होंने कानून की पढ़ाई की और प्रथम श्रेणी में पास हो रहे हैं।