मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रारंभ की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना ने राज्य की बेटियों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इस योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना नहीं है, बल्कि इसका व्यापक दृष्टिकोण बेटियों को सशक्त बनाना, उन्हें शिक्षा से जोड़ना और समाज में उनके सम्मान को बढ़ाना है।
यह योजना उन परिवारों के लिए वरदान साबित हुई है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपनी बेटियों की पढ़ाई या भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे। मध्यप्रदेश में जन्मी हर बालिका, यदि पात्रता की शर्तें पूरी करती है, तो उसे इस योजना के अंतर्गत सरकारी सहायता प्रदान की जाती है।
2 मई को राज्यभर में मनेगा ‘लाड़ली लक्ष्मी उत्सव’
2 मई 2025 को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में ‘लाड़ली लक्ष्मी उत्सव’ का भव्य आयोजन किया जाएगा। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि बेटियों के सम्मान और उन्हें सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का संकल्प है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि यह दिन बेटियों के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाएगा। इस दिन प्रत्येक जिले, विकासखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां बेटियों को प्रमाण पत्र, छात्रवृत्तियां और प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
लाड़ली लक्ष्मी योजना की मुख्य विशेषताएं
वित्तीय सहायता का चरणबद्ध वितरण
इस योजना के अंतर्गत बच्ची के जन्म से लेकर कक्षा 12वीं तक राज्य सरकार द्वारा लगातार आर्थिक सहायता दी जाती है:
- बच्ची के जन्म के बाद: ₹6,000 की सहायता राशि
- कक्षा 6 में प्रवेश पर: ₹2,000
- कक्षा 9 में प्रवेश पर: ₹4,000
- कक्षा 11 में प्रवेश पर: ₹6,000
- कक्षा 12 में प्रवेश पर: ₹6,000
- और 18 वर्ष की आयु के पश्चात ₹1 लाख की राशि
शैक्षणिक प्रोत्साहन
योजना का मुख्य उद्देश्य बेटियों को शिक्षा से जोड़ना और विद्यालय छोड़ने की प्रवृत्ति को रोकना है। इसके लिए स्कूलों में उन्हें फ्री यूनिफॉर्म, किताबें, साइकल और छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है।
बेटियों की शिक्षा और स्वावलंबन को प्राथमिकता
आज की लाड़ली बेटियां कल की डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस अफसर, शिक्षक और उद्यमी बन रही हैं। इस योजना ने उन परिवारों को भी बेटियों की शिक्षा के लिए प्रेरित किया है, जो पहले उन्हें स्कूल भेजने से हिचकते थे।
सरकार का मानना है कि जब बेटी पढ़ेगी तभी समाज और देश आगे बढ़ेगा। ‘पढ़ेगी बेटी, बढ़ेगा देश’ इस योजना की मूल भावना है।
समाज में मानसिकता में आया सकारात्मक परिवर्तन
लाड़ली लक्ष्मी योजना का एक अप्रत्यक्ष लेकिन महत्वपूर्ण प्रभाव यह रहा है कि बेटियों के प्रति समाज की सोच में बदलाव आया है। पहले जहाँ बेटियों को बोझ समझा जाता था, अब उन्हें गर्व का विषय माना जाने लगा है।
कन्या भ्रूण हत्या में भारी गिरावट और लिंगानुपात में सुधार जैसे सकारात्मक संकेत इस योजना की सफलता को प्रमाणित करते हैं।
‘लाड़ली लक्ष्मी उत्सव’ की तैयारियां जोरों पर
2 मई को आयोजित होने वाला यह उत्सव सामूहिक भागीदारी का प्रतीक होगा। स्कूलों, पंचायत भवनों और नगर निगमों में आयोजित कार्यक्रमों में:
- सम्मान समारोह आयोजित होंगे
- उपलब्धि प्राप्त बेटियों का अभिनंदन किया जाएगा
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से बेटियों की प्रतिभा को मंच मिलेगा
- सशक्तिकरण पर आधारित नुक्कड़ नाटक और भाषण प्रतियोगिताएं होंगी
- मुख्यमंत्री स्वयं प्रदेश की किसी प्रमुख पंचायत में शामिल होंगे और लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से सभी जिलों को संबोधित करेंगे।
आगे की योजनाएं और विस्तार
राज्य सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य में लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत डिजिटल साक्षरता, कौशल विकास, और करियर काउंसलिंग जैसे नए आयाम भी जोड़े जाएंगे। इससे बेटियाँ केवल आत्मनिर्भर ही नहीं, डिजिटल युग में सशक्त और सक्षम बनेंगी।
नवाचार के साथ डिजिटल एकीकरण
अब लाड़ली लक्ष्मी योजना का ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल ऐप भी उपलब्ध है, जिससे आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सुविधाजनक हो गई है। माता-पिता अपने मोबाइल से ही आवेदन की स्थिति, किश्तों की जानकारी, और प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकते हैं।
योजना के प्रभाव को दर्शाते आँकड़े
- अब तक 78 लाख से अधिक बालिकाएं योजना से लाभान्वित हो चुकी हैं
- लगभग ₹9,000 करोड़ से अधिक की राशि का वितरण
- 12वीं पास बालिकाओं का प्रतिशत योजना के आरंभ के बाद 68% से बढ़कर 89% हुआ