क्या आप जानते है ? BJP के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया परिवार के गहरे संबंध

By SHUBHAM SHARMA

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क्या आप जानते है ? BJP के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया परिवार के गहरे संबंध

ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की नेता रह चुकी हैं. विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. लेकिन कांग्रेस में 10 साल बिताने के बाद पार्टी से उनका मोहभंग हो गया. विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में जनसंघ जॉइन कर लिया.

भोपाल: मध्य प्रदेश में कमलनाथ ​सरकार को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तगड़ा झटका दे दिया है. सिंधिया पूरी तरह से बगावत के मूड में आ चुके हैं. ज्योतिरादित्य मंगलवार सुबह दिल्ली स्थित अपने आवास से ​अपनी रेंज रोवर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घर पहुंचे. सिंधिया खुद ही गाड़ी चला रहे थे और उनके साथ कोई और मौजूद नहीं था. सिंधिया को लेकर गृहमंत्री अमित शाह पीएम मोदी से मिलने 7 लोक कल्याण मार्ग पहुंचे. इसके बाद यह तो तय हो गया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने का मन पूरी तरह बना लिया है. वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार का भाजपा के साथ पुराना कनेक्शन रहा है. अब ज्योतिरादित्य भी उसी राह पर चल पड़े हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी जनसंघ की नेता थीं
उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की नेता रह चुकी हैं. विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. लेकिन कांग्रेस में 10 साल बिताने के बाद पार्टी से उनका मोहभंग हो गया. विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में जनसंघ जॉइन कर लिया. विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ही ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ काफी मजबूत हुआ. वर्ष 1971 में पूरे देश में जबरदस्त इंदिरा लहर होने के बावजूद जनसंघ ने ग्वालियर क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत हासिल की. विजयाराजे सिंधिया भिंड से, उनके पुत्र माधवराव सिंधिया गुना से और अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से सांसद बने.

पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े
गुना लोकसभा सीट लंबे समय तक सिंधिया परिवार के कब्जे में रही. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया सिर्फ 26 साल की उम्र में गुना से सांसद चुने गए थे. हालांकि माधवराव सिंधिया ने जनसंघ से अपना नाता तोड़ लिया. आपातकाल खत्म होने के बाद 1977 में  माधवराव सिंधिया ने जनसंघ छोड़ दिया. इस बात को लेकर उनकी मां विजयाराजे सिंधिया खफा भी हुईं. लेकिन माधवराव सिंधिया ने अपनी राजनीति कांग्रेस में रहकर करने की ठानी थी. साल 1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर गुना से चुनाव लड़ा और जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बने. 30 सितंबर 2001 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के निकट प्लेन क्रैश में माधवराव सिंधिया की मृत्यु हो गई.

दोनों बुआएं भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ीं
वहीं विजयाराजे सिंधिया की बेटियों वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी (जनसंघ) के साथ अपने राजनीतिक पारी शुरू की और अब तक भाजपा के साथ बनी हुई हैं. वसुंधरा राजे सिंधिया 1984 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुईं. वह कई बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और राज्य में भाजपा की सबसे बड़ी नेता हैं. वर्तमान में वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उनके बेटे दुष्यंत भी बीजेपी से ही राजस्थान की झालवाड़ सीट से सांसद हैं.

ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस के साथ राजनीति शुरू की
माधवराव सिंधिया की छोटी बहन और ज्योतिरादित्य सिंधिया की छोटी बुआ यशोधरा सिंधिया 1977 में अमेरिका चली गईं. वह जब भारत लौटीं तो 1994 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं. वह मध्य प्रदेश से भाजपा के टिकट पर 5 बार विधायक रह चुकी हैं. शिवराज सिंह चौहान की पूर्ववर्ती सरकार में वह मंत्री भी रह चुकी हैं. अपनी दादी और अपनी बुआओं के उलट ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता की राह पर चलने का फैसला किया और कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़कर राजनीति की. वह कांग्रेस नित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. गुना से लगातार सांसद चुने जाते रहे. लेकिन 2019 के लोक सभा चुनावों में उन्हें गुना सीट से हार का मुंह देखना पड़ा. अब ज्योतिरादित्य भी अपनी दादी और बुआओं की राह पर चलते हुए भाजपा के साथ जाते हुए दिख रहे हैं

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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