जबलपुर: जबलपुर में एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की द्वारा दर्ज कराए गए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस जांच के बाद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। प्रारंभिक एफआईआर में जिन युवकों के नाम दर्ज किए गए थे, वे इस अपराध में शामिल नहीं पाए गए।
पुलिस जांच में सामने आया कि वास्तविक घटना जबलपुर में नहीं, बल्कि मंडला जिले में घटी थी, और इसमें राजन नामक सोशल मीडिया मित्र या उसके कोई भी साथी शामिल नहीं थे। असली आरोपी 22 वर्षीय अभिषेक ठाकुर को मंडला से गिरफ्तार कर लिया गया है।
क्या था मामला?
घमापुर थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में नाबालिग ने बताया था कि सोशल मीडिया पर बने दोस्त राजन और उसके तीन साथियों ने उसका अपहरण किया और तीन दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म किया।
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फौरन जांच शुरू की और तकनीकी साक्ष्यों, कॉल डिटेल्स और मोबाइल लोकेशन के आधार पर पूरे घटनाक्रम को खंगालना शुरू किया।
जांच में सामने आया सच
पुलिस जांच में पाया गया कि शिकायत में नामजद युवकों की घटनास्थल पर कोई मौजूदगी नहीं थी। असल में, नाबालिग गुरुवार रात करीब 9 बजे घर से निकली थी, क्योंकि उसका अपनी मां से मोबाइल और सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर विवाद हुआ था।
इसके बाद वह रायपुर जाने वाली एक बस में सवार हुई, जहां उसकी मुलाकात मंडला निवासी अभिषेक ठाकुर (22) से हुई। रात करीब 11 बजे अभिषेक ने उसे मंडला में बस से उतारकर अपने दोस्त हेमंत वणक्षकर (35) के घर ले गया। यहीं पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया।
घटना के बाद की स्थिति
दुष्कर्म के बाद आरोपी ने अगली सुबह उसे रायपुर जाने वाली दूसरी बस में बिठा दिया। लेकिन बस कवर्धा के पास खराब हो गई, जिससे वह मंडला लौट आई और फिर किसी तरह जबलपुर में अपने घर पहुंची।
डर और पारिवारिक दबाव के कारण उसने एफआईआर में राजन और अन्य निर्दोष युवकों के नाम लिखवा दिए। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि इन लोगों का अपराध से कोई लेना-देना नहीं था।
मुख्य आरोपी गिरफ्तार, पोक्सो के तहत मामला दर्ज
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी अभिषेक ठाकुर और उसके सहयोगी हेमंत वणक्षकर को गिरफ्तार कर लिया। दोनों पर पोक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
जांच में शामिल पुलिस टीम में थाना प्रभारी प्रसन्न शर्मा, एसआई आशा माहौर, कांस्टेबल अश्वनी द्विवेदी, संतोष जाट, शैलेंद्र पटवा, बालमुकुंद, और साइबर सेल के हेड कांस्टेबल अमित पटेल शामिल थे, जिन्होंने 24 घंटे के भीतर सच्चाई सामने ला दी।
सोशल मीडिया पर सतर्कता की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया कि सोशल मीडिया के माध्यम से अनजान लोगों से संपर्क बच्चों के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।
परिजनों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखें और उन्हें सही दिशा दिखाएं, ताकि इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।