बालाघाट । ग्रामीण क्षेत्रों में बांस जन्म से लेकर मृत्यु तक का साथी होता है। लेकिन जंगलों में अब बांस नहीं होने के कारण इसकी समस्या होने लगी है। बांस कम समय में अधिक आमदनी देने वाली उपज है। बांस का बाजार में अच्छा दाम मिलता है और यह किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन सकता है।
इन्ही तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में उन्नत प्रजाति के तेजी से बढ़ने वाले बांस के रोपण को प्रोत्साहन देने बांस कृषि योजना लागू की गई है।
वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी श्री अमित पटौदी ने बताया कि बांस कृषि योजना में बोस रोपण के लिए 240 रुपये प्रति पौधा की दर निर्धारित की गई है। इसमें से 50 प्रतिशत अर्थात 120 रुपये की राशि राष्ट्रीय बांस मिशन द्वारा अनुदान के रूप में दी जायेगी।
अनुदान की यह राशि सीधे कृषक के बैंक खाते में जमा कराई जायेगी। अनुदान की राशि किसी भी स्थिति में 120 रुपये प्रति पौधा से अधिक नहीं होगी। अनुदान की राशि तीन किश्तों में बांस के पौधों की प्रगति के आधार पर दी जायेगी। अनुदान की राशि वन परिक्षेत्र अधिकारी के सत्यापन के बाद ही दी जायेगी।
जिले के जो भी किसान बांस कृषि योजना का लाभ लेकर बांस के पौधे लगाने चाहते है वे अपने क्षेत्र के वन रक्षक या वन परिक्षेत्र अधिकारी से सम्पर्क कर सकते है। बांस रोपण की यह बहुत अच्छी योजना है। कृषक बांस के पौधे अपने खेत की मेढ़ों पर या खाली पड़ी जमीन पर लगा सकते है।
एक बार बांस के पौधे लग जाने के बाद उनके सुरक्षित रहने पर वह अनेक वर्षों तक उत्पादन देते है। बांस पौध रोपण से किसानों को आय होने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
समाचार क्रमांक/097/809/2019/पटले