डेस्क।अभी ऑफिस जाते हैं तो आपको हफ्ते में 6 या 5 दिन काम करना होता है और एक या दो दिन छुट्टी मिलती है. लेकिन, अब एक दिन की जगह आपको हर हफ्ते तीन दिन की छुट्टी मिलेगी और आपको सिर्फ 4 दिन ही काम करना होगा.
जी हां, सरकार नए लेबर कोड पर काम कर रही है और माना जा रहा है कि जल्द ही छुट्टियों के नियम में बदलाव हो सकता है. बताया जा रहा है कि देश में बने नए श्रम कानूनों के तहत आने वाले दिनों में हफ्ते में तीन दिन छुट्टी मिल सकती है.
ऐसे में जानते हैं कि क्या नए नियम हैं और नए नियमों के अनुसार, हफ्ते में कितने घंटे वर्किंग आर होंगे यानी एक हफ्ते में आपको कितने घंटे काम करना होगा. साथ ही जानते हैं नए श्रम कानूनों में क्या प्रस्ताव है।
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों को काम के घंटे और दिनों में राहत मिल सकती है. बताया जा रहा है कि जल्दी ही हफ्ते में पांच दिन की जगह 4 दिन नौकरी करनी होगी और दो दिन की जगह हफ्ते में 3 दिन छुट्टी रहेगी. नए नियमों के अनुसार, जिस पर कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकते हैं.
कितने घंटे करना होगा काम?
हालांकि, 4 दिन नौकरी करने पर आपकी डेली शिफ्ट के टाइमिंग में बदलाव हो सकती है, इससे सरकार ने काम के घंटों को बढ़ाकर 12 तक करने को फैसला किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि नए लेबर कोड में नियमों में ये विकल्प भी रखा जाएगा, जिस पर कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकते हैं. साथ ही ये भी बताया जा रहा है कि काम करने के घंटों की हफ्ते में अधिकतम सीमा 48 घंटे रखी गई है, ऐसे में काम के दिन घट सकते हैं.
अगर अभी हफ्ते में 5 दिन में 9 घंटे के हिसाब से काम करते हैं तो आप हर हफ्ते 45 घंटे काम करते हैं, लेकिन 12 घंटे की शिफ्ट के हिसाब से 4 दिन काम करेंगे तो 48 दिन काम करना होगा.
साथ ही इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है, जिससे अगर कंपनी आपसे ज्यादा काम करवाती है तो आपको एक्स्ट्रा काम के पैसे भी मिलेंगे.
प्रस्तावित नियमों के अनुसार, किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने की मनाही है, अगर कोई लगातार 5 घंटे काम करता है तो कर्मचारी को आधा घंटे का रेस्ट मिलेगा.
मगर सैलरी हो जाएगी कम!
इस लेबर कोड से कई लोगों को परेशानी भी हो सकती है, क्योंकि इससे हाथ में आने वाली सैलरी यानी आपकी इनहैंड सैलरी कम हो सकती है.
दरअसल, इन नियमों के हिसाब मूल वेतन कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए और इससे सैलरी ब्रैक-अप बदल जाएगा. जिन लोगों की सैलरी में अलाउंस का पार्ट ज्यादा है, उनका अब पीएफ बढ़ जाएगा और हाथ में आने वाले पैसे कम हो जाएंगे.