सागर : ” संजू पाण्डेय” एक दिन मेरे ख्वाहो में एक परिंदा आया और बोला उड़ो मेेरे साथ ….. पर मैंने बोला मैं कैसे उड़ सकता हुॅ मेरे पास तो पंख ही नहीं है तो परिदंे ने बड़ा खुबसूरत सा जबाव दिया और बोला बस यही सोच है ना तुम्हे उड़ने से रूकती है, क्या एक हवाई जहाज में पंख लगे होते है नहीं ना फिर भी वह परिदों से काफी उचाई पर उड़ सकता है उड़ने के लिए पखं नही हौसला होना चाहिए ।
मेरे सभी दोस्तो एक बात जरूर याद रखना कर्म करना आपका काम है पर आज के दौर में कर्म करने के साथ सभी फल की इच्छा करने लगते है जो की चाहे एक विधार्थि हो या एक उधोगपति या कोई भी व्यक्ति जो फल के बारे में सोच के परेषान है
यह सही नहीं है आपका काम केवल कर्म करना है ना की फल की इच्छा रखना क्योंकि वह आपके हाथ में नहीं है आपके हाथ में वस कर्म करना है कर्म के बदले आपको कुछ ना कुछ तो जरूर मिलेगा या सफल होगे या असफल पर मिलेगा जरूर सफल हुये तो सबसे के आज एक उदाहरण होगें और असफल हुये तो गुरू से समान होगें
क्योकि आप बता सकते है कहा आपसे गलती हुई और ऐसा करके आप किसी को जो उस क्षेत्र में अपना कर्म कर रहा है कि उसे यह गलती नहीं करनी है और ना ही फल के बारे में सोच कर मन को अस्थिर करना, बस करना है तो उसे कर्म करना है क्योकि कर्म ही पूजा है कर्म ही फल है