उत्तराखंड: उत्तराखंड (Uttarakhand) से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। उत्तराखंड (Uttarakhand) में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड (Uttarakhand) का नया मुख्यमंत्री (Uttarakhand New CM) बनाया गया है।
पुष्कर सिंह धामी (Pushkar SIngh Dhami) दो बार खटीमा से विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा पुष्कर सिंह धामी (Pushkar SIngh Dhami) युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उत्तराखंड (Uttarakhand) के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Ex XM Teerath Singh Rawat) ने शुक्रवार देर रात राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया था, जिसके बाद नए मुख्यमंत्री (Uttarakhand New Cm) के लिए कई नाम सामने आए थे, लेकिन उत्तराखंड विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी (Pushkar SIngh Dhami) को चुना गया।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि चार महीने में उत्तराखंड में तीसरा मुख्यमंत्री चुना गया है। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में करीब 6 महीने का वक्त बाकी है और इससे पहले राज्य का अगला मुख्यमंत्री (Uttarakhand CM) तय करने के लिए भाजपा विधायक दल की बैठक हुई।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम मौजूद रहे। इस बैठक में भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) के नाम पर दांव लगाया। पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें और पहले सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं।
CM Pushkar Singh Dhami का राजनैतिक सफर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने सन् 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में कार्य किया है।
इसी दौरान अलग-अलग दायित्वों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालन कर प्रमुख भूमिका निभाई। इतना ही नहीं राज्य की भौगोलिक परिस्थियों को नजदीक से समझते हुए उन्होंने क्षेत्रीय समस्याओं की समझ और उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरान्त पूर्व मुख्यमंत्री जी के साथ एक अनुभवी सलाहकार के रूप में 2002 तक कार्य किया।
कुशल नेतृत्व क्षमता, संधर्षशीलता एवं अदम्य सहास के कारण दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सन 2002 से 2008 तक छः वर्षो तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित करके अनेकों विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये गये।
संधर्षो के परिणाम स्वरूप तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने में सफलता प्राप्त की। इसी क्रम में दिनांक 11 जनवरी 2005 को प्रदेश के 90 युवाओं को जोड़कर विधान सभा का धेराव हेतु एक ऐतिहासिक रैली आयोजित की गयी जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है।
कुशल नेतृत्व क्षमता तथा शैक्षिणिक एवं व्यावसायिक योग्यता के कारण पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में वर्ष 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यशील रहते हुए क्षेत्र की जनता की समस्याओं का समाधान कराने में आशातीत सफलता प्राप्त की जिसका प्रतिफल जनता द्वारा 2012 के विधान सभा विधान सभा चुनाव में ’’विजयश्री’’ दिलाते हुए अपने जनप्रिय विधायक के रूप में विधान सभा में पहुॅचाकर उनकी आवाज को और भी अधिक बुलन्दी के साथ सरकार के समक्ष उठाते हुए क्षेत्रीय जनता को उनके मौलिक अधिकारों एवं जीवन यापन के हकों को दिलवाने के लिए उनके विधानसभा प्रतिनिध होने का गौरव प्राप्त हुआ है।