चाइनीज ऐप्प पर बैन लगाने के बाद योगी सरकार चीन पर एक ओर डिजिटल स्ट्राइक करने के लिये तैयारी कर रही है खिलौनों के मामले में चीन दुनिया के सभी देशों को मात दे चुका है. ज्यादातर खिलौने चीन से बनकर ही दुनिया बर में सप्लाई होते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार अब Chinese खिलौनों की विदाई का प्लान बना रही है. UP के गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा में एक टॉय क्लस्टर बनने जा रहा है. ये देश का पहला ऐसा टॉय क्लस्टर होगा जहां बड़े पैमाने पर टॉय इंडस्ट्रीज़ एक साथ लगाई जाएंगी और इसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से जोड़ा जाएगा. सरकार के इस कदम से दम तोड़ रही इंडियन टॉय इंडस्ट्री को भी सांसें मिलेंगी.
योगी सरकार की पहल जिसे चीन पर एक और डिजिटल स्ट्राइक कहा जाना गलत नही होगा
चीन के बने, कम क़ीमत में अच्छी फ़िनिश वाले खिलौनों के आगे भारत का खिलौना उद्योग लगभग तबाह हो गया था. आज देश में इस्तेमाल होने वाले 80% खिलौने चीन में बने हुए होते हैं. इस चुनौती से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार एक बड़ी योजना बना रही है. जिसे अमलीजामा पहनाने का काम यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल अथॉरिटी को सौंपा गया है. सरकार की ओर से प्रस्तावित टॉय सिटी 2 साल में बन कर तैयार हो भी हो जाएगी.
लगभग 100 एकड़ ज़मीन में बनेगी टॉय सिटी
यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल अथॉरिटी के मुताबिक़ टॉय सिटी के लिए 100 एकड़ भूमि आवंटित की गई है. इसके 50 एकड़ में 80 खिलौना फैक्ट्रियां और सामूहिक उपयोगिता की सुविधाएं होंगी. बाकी 50 एकड़ भूमि को टॉय सिटी के एक्सटेंशन के लिए छोड़ा जाएगा. इसे टॉय इंडस्ट्री के एक इंटरनेशनल हब के रूप में विकसित किया जाएगा. अगले 6 महीने में इंफ्रास्ट्रक्चर का काम हो जाएगा, उसके बाद के डेढ़ साल में टॉय एसोसिएशन को वहां उद्योगों का विकास करेगा.
देश के 15000 लोगों को मिलेगा रोजगार !
6 सौ करोड़ की लागत से बन रही टॉय सिटी से क़रीब 15000 लोगों को रोजगार मिलेगा, जिसमें 5000 लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार मिल सकेगा. खास बात ये है कि यमुना इंडस्ट्रियल अथॉरिटी के नियमानुसार टॉय सिटी की हर इंडस्ट्री को 40% स्थानीय कर्मचारी रखने होंगे. इससे स्थानीय महिलाओं का विशेष तौर से रोज़गार मिल सकेगा.
यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल एरिया के सेक्टर-33 में होगा टॉय क्लस्टर
टॉय क्लस्टर में एक साथ बड़े पैमाने पर टॉय फैक्ट्रियां लगेंगीं. क्लस्टर के लिए 100 एकड़ भूमि आवंटित की गई है. यह क्लस्टर ग्रेटर नोएडा के प्रस्तावित जेवर इंटरनेशनल एयर पोर्ट से महज़ 5 किलोमीटर की दूरी पर विकसित होगा.