
सुप्रीम कोर्ट ने देश में पटाखों को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने कुछ शर्तों के साथ पटाखों को चलाने की इजाजत दे दी है. ये शर्तें हैं-
# दिवाली के दिन सिर्फ दो घंटे तक ही पटाखे जला सकते हैं.
# दिवाली के दिन पटाखे रात के 8 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक ही चलाए जा सकेंगे.
# क्रिसमस और नए साल के अवसर पर सिर्फ 20 मिनट तक ही पटाखे चलाए जा सकेंगे.
# क्रिसमस और न्यू ईयर पर रात के 11.55 से रात के 12.15 तक ही पटाखे चलाए जा सकेंगे.
# कम शोर वाले पटाखे बिकेंगे
# ऑनलाइन कंपनियां पटाखे नहीं बेच सकेंगी.
# सिर्फ रजिस्टर्ड दुकानदारों को ही पटाखे बेचने की इजाजत होगी.

# सिर्फ वो ही पटाखे बेचे जा सकेंगे, जिनसे पॉल्यूशन कम होता हो. पटाखों की लड़ियों पर रोक रहेगी.
# पटाखे बनाने में हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा.
# ज्यादा पॉल्यूशन वाले पटाखे नहीं बनाए जा सकेंगे.
# किसी भी धार्मिक उत्सव पर पटाखे नहीं चलाए जा सकेंगे.
# ये आदेश हर धर्म के त्योहारों पर लागू होगा.
# अगर इस आदेश का पालन नहीं होता है, तो इसके लिए संबंधित थाने के एसएचओ जिम्मेदार होंगे.
28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
28 अगस्त 2018 को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की खंडपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा था कि अगर पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया जाए तो इस फैसले को देने से पहले पटाखा बनाने वालों की रोजी-रोटी के मौलिक अधिकार और देश के 125 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार को भी ध्यान में रखना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन का अधिकार देता है और ये अधिकार देश के हर आदमी पर लागू होता है. इसलिए पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगाने के लिए संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत है.
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था बैन

दिल्ली और एनसीआर में पटाखे की वजह से हो रहे पॉल्यूशन को लेकर 2016 में दिवाली के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 9 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगा दिया था. इस आदेश के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिवाली के बीत जाने के बाद 1 नवंबर 2017 के बाद फिर से पटाखे बेचे जा सकेंगे. दिल्ली-एनसीआर के साथ ही कोर्ट का ये फैसला दूसरे राज्यों पर भी लागू होना था.