जम्‍मू-कश्‍मीर परिसीमन आयोग की बैठक से पहले सियासत, समझें परिसीमन से कैसे बदल जाएगा सियासी गणित

Khabar Satta
By
Khabar Satta
खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
5 Min Read

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयाेग की 18 फरवरी की प्रस्तावित बैठक पर सियासत शुरू हो गई। जिला विकास परिषद चुनाव में खास समर्थन न मिलने के बाद अब नेशनल कांफ्रेंस ने परिसीमन को सियासी मसला बना लिया है और उसके तीनों सांसदों ने नई दिल्‍ली में होने वाली बैठक के बहिष्कार का एलान किया है। अलबत्ता, भाजपा के दोनों सांसद बैठक में शरीक रहेंगे। साथ ही उन्‍होंने स्‍पष्‍ट कहा है कि वह जम्‍मू क्षेत्र से हुए भेदभाव को प्रमुखता से उठाएंगे।

आयोग की मौजूदा चेयरमैन जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई का कार्यकाल भी पांच मार्च को समाप्त हो रहा है और आयोग ने अभी तक एक भी बार जम्मू कश्मीर का दौरा नहीं किया है। ऐसे में संभव है कि आयोग का कार्यकाल छह माह तक बढ़ा दिया गया जाए।

यहां बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्‍मू कश्‍मीर के पुनर्गठन के बाद प्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के लिए पिछले वर्ष छह मार्च को परिसीमन आयोग का गठन किया था। जस्टिस देसाई के अलावा चुनाव आयोग के प्रतिनिधि के तौर पर चुनाव आयुक्‍त सुशील चंद्रा और राज्‍य चुनाव आयुक्‍त केके शर्मा इसके सदस्‍य हैं। इसके अलावा प्रदेश के सभी लोकसभा सदस्‍यों को आयोग का सहायक सदस्‍य बनाया है। इनमें डा: जितेंद्र सिंह, डा: फारूक अब्दुल्ला, मोहम्मद अकबर लोन, हसनैन मसूदी और जुगल किशोर शर्मा शामिल हैं। पीएमओ में राज्यमंत्री डा जितेंद्र सिंह व जुगल किशोर शर्मा दोनों भाजपा से हैं और अन्य तीनों नेशनल कांफ्रेंस के सांसद है और कश्मीर की सीटों से निर्वाचित हैं।

परीसीमन की प्रक्रिया पूरी होने साथ ही जम्मू कश्मीर में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। पूर्व जम्‍मू कश्मीर अनुसूचित जाति के लिए मात्र सात सीटें आरक्षित थीं। यह सभी जम्‍मू क्षेत्र में थी। यह थी छंब,दोमाना,आरएसपुरा, हीरानगर,चिनैनी व रामबन। कश्मीर में एक भी सीट आरक्षित नहीं थी। अनुसूचित जनजातियों के लिए भी प्रदेश में एक भी सीट आरक्षित नहीं थी।

यह है परिसीमन आयोग का दायित्‍व: जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के भाग पांच के प्रविधानों और परिसीमन अधिनियम 2002 के मुताबिक आयोग को विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परीसीमन का अधिकार दिया गया है। नए जम्‍मू कश्‍मीर की विधानसभा में सीटों की संख्‍या को बढ़ाकर 111 से 114 किया जाना है। इनमें से 24 सीटें पहले की तरह गुलाम कश्‍मीर के लिए आरक्षित हैं। अब लद्दाख जम्‍मू कश्‍मीर का हिस्‍सा नहीं रहा। ऐसे में उसकी चार सीटें भी खत्‍म हो गईं। जम्‍मू क्षेत्र का आरोप रहता था कि पुराने परिसीमन में उसकी उपेक्षा हुई है। कम क्षेत्र के बावजूद कश्‍मीर को ज्‍यादा सीटें दी गईं। इस तरह अब जम्‍मू और कश्‍मीर जोन में सीटों की संख्‍या को बढ़ाकर 83 से 90 करना है।

यूं समझें सीटों का गणित

पुराना जम्‍मू कश्‍मीर

  • कश्‍मीर  — 46
  • जम्‍मू    –37
  • लद्दाख  — 04
  • गुलाम कश्‍मीर – 24
  • कुल सीटें   — 111

नया जम्‍मू कश्‍मीर

  • जम्‍मू और कश्‍मीर — 90
  • गुलाम कश्‍मीर    — 24
  • कुल सीटें     — 114

1994 में हुआ था अंतिम परिसीमन: जम्मू कश्मीर में अंतिम बार परिसीमन 1994-95 में हुआ था। उस समय प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या को 76 से बढ़ाकर 87 किया गया था। जम्मू में सीटों की संख्या 32 से 37, कश्मीर में 42 से 46 और लद्दाख में दो से चार की गईं थी। अलबत्ता, वर्ष 2002 में जम्मू कश्मीर में डा फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार ने विधानसभा में प्रस्‍ताव पासकर जम्‍मू कश्मीर में परिसीमन पर 2026 तक राेक लगा दी थी।

किसने क्‍या कहा

  • हम पहले ही खुद काे इस आयोग से अलग कर चुके हैं। यह पूरी प्रक्रिया असंवैधानिक है। यह आयोग जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत बना है और हम इस अधिनियम को नहीं मानते। इस अधिनियम के खिलाफ सर्वाेच्च न्यायालय में एक याचिका लंबित है। केंद्र काे सुप्रीम कोर्ट का फैसला तक ऐसे फैसलों से बचना चाहिए। – हसनैन मसूदी, नेकां सांसद, अनंतनाग 
  • हम इस बैठक में शामिल हाे रहे हैं। जम्मू क्षेत्र के साथ अब तक राजनीतिक भेदभाव हुआ है। उसे दूर करने के लिए हम बैठक में अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे।  – जुगल किशोर शर्मा, भाजपा सांसद, जम्‍मू
  • यहां काैन सी जम्हूरियत है, केंद्र सरकार अपनी मर्जी से अपने कानून कश्मीरियां पर थोप रही है। यह आयोग नहीं बन सकता था,लेकिन उसने बनाया। हम पहले ही इससे इन्‍कार कर चुके हैं। – मोहम्मद अकबर लोन, नेकां सांसद, बारामुला
- Join Whatsapp Group -
Share This Article
Follow:
खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *