जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से गैंगरेप और उसकी हत्या के मामले में करीब 17 महीने बाद अदालत का फैसला आ गया है। पठानकोट सेशन कोर्ट ने तीन दोषियों दीपक खजुरिया, सांजी राम और परवेश कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जबकि सबूतों से छेड़छाड़ करने वाले तीन अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को कोर्ट ने 5-5 साल की सजा दी है। इसके साथ ही अदालत ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए ‘जी न्यूज’ की तारीफ भी की है।
इतना ही नहीं, कोर्ट ने ‘जी न्यूज’ द्वारा उपलब्ध कराये गए साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए सातवें आरोपी विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया है। कठुआ कांड के अंजाम तक पहुँचने में सीसीटीवी की एक फुटेज की बड़ी भूमिका रही। इसी के आधार पर विशाल को छोड़ा गया।
‘जी न्यूज’ ने सबसे पहले इस फुटेज को दिखाते हुए कहा था कि वारदात के वक्त विशाल वहां मौजूद नहीं था। उसकी जगह वह मुजफ्फरनगर के मीरापुर में मौजूद था और वहां के एक एटीएम में पैसा निकाल रहा था। एटीएम में मौजूद सीसीटीवी की फुटेज से इसकी पुष्टि होती है।
न्यूज़ चैनल ने यह साक्ष्य अदालत के समक्ष पेश किया था, जिसने अंतिम फैसले में अहम भूमिका निभाई। अदालत के फैसले में कहा गया है कि ‘विशाल जंगोत्रा के मामले में जो साक्ष्य मौजूद हैं, वह ‘जी न्यूज’ द्वारा उपलब्ध कराई गई विडियो फुटेज का समर्थन करते हैं, जिसके मुताबिक वारदात के समय विशाल घटनास्थल पर मौजूद नहीं था।
फैसले की कॉपी में आगे कहा गया है, ‘न्यूज चैनल के जम्मू ब्यूरो चीफ राजू करनी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सीडी और पेनड्राइव के फुटेज असली हैं और उनमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है। अंतिम निर्णय तक पहुँचने में इन पर भरोसा किया जा सकता है।’
अदालत ने ‘जी’ की पूरी टीम और एडिटर-इन-चीफ की भी तारीफ की है। जजमेंट कॉपी में लिखा है, ‘जी न्यूज़’ खासकर एडिटर-इन-चीफ और स्टाफ अपने प्रयासों के लिए सराहना के हक़दार हैं। सभी ने सच्चाई को सामने लाने के लिए हर संभव प्रयास किया।’
कोर्ट द्वारा अपने जजमेंट में किए गए ‘जी न्यूज’ के जिक्र को आप यहां पढ़ सकते हैं।