“`परमेश्वर, परब्रह्म, अनादि और अनंत है श्रीकृष्ण। सर्वस्व कलाओं से परिपूर्ण है श्रीकृष्ण।।
बंसी बजैय्या, शांतचित्त स्वरूप है श्रीकृष्ण। प्रेम के अनूठे और सच्चे उपासक है श्रीकृष्ण।।
संतो और भक्तो के उद्धारक है श्रीकृष्ण। दुष्टो के नाश के लिए अवतरित होते है श्रीकृष्ण।।
धर्म और अनुशासन के पतन को रोकते है श्रीकृष्ण। समर्पित प्रेम के अद्वितीय निर्वाहक है श्रीकृष्ण।।
एक श्रेष्ठ सखा, बंधु का स्नेहिल रूप है श्रीकृष्ण। भक्ति की गहराई की तीव्रता है श्रीकृष्ण।।
कल्याण और हित का पर्याय है श्रीकृष्ण। अदम्य साहस के संचारक है श्रीकृष्ण।।
क्षण भर में अनूठी लीला करते है श्रीकृष्ण। मनमोहक बालक की छवि का रूप है श्रीकृष्ण।।
गोपियो के हृदय में सदैव विराजमान है श्रीकृष्ण। सुदामा के अडिग प्रेम का प्रतीक है श्रीकृष्ण।।
निष्काम प्रेम का अलख जगाते है श्रीकृष्ण। गति और मति के निर्धारक है श्रीकृष्ण।।
मीरा की अगाध श्रद्धाभक्ति है श्रीकृष्ण। देवकी और यशोदा की आसक्ति है श्रीकृष्ण।।
नश्वर शरीर का अंतिम ध्येय है श्रीकृष्ण। द्रौपदी और रुक्मणी के सम्मान के रक्षक है श्रीकृष्ण।।
भक्तो के लिए सदैव तत्पर रहते है श्रीकृष्ण। गौमाता के सेवक, असाध्य को साध्य बनाते है श्रीकृष्ण।।
स्थिर प्रज्ञ होने का संदेश देते है श्रीकृष्ण। डॉ. रीना कहती, मेरे आराध्य और योगीश्वर है श्रीकृष्ण।।“`
*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*