Bihar Bodyguard Scam : बिहार में बॉडीगार्ड घोटाला (Bihar Bodyguard Scam)! सरकार को लगाया 100 करोड़ से ज्यादा का चूना
अभी बिहार की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार कोरोना जांच घोटाले के झटके से उबर भी नहीं सकी थी कि बिहार में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट आने के बाद उसका सिरदर्द और बढ़ गया है. कैग की यह रिपोर्ट बिहार (Bihar) में वर्दी और भर्ती घोटाले के बाद बॉडीगार्ड घोटाले का संकेत दे रही है. इस आलोक में आने वाले दिनों में सूबे का सियासी पारा एक बार फिर चढ़ना तय है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार चुनिंदा लोगों को बॉडीगार्ड देने की प्रक्रिया में हेरफेर कर राज्य सरकार को 100 करोड़ रुपए से अधिक का चूना लगाया गया है. इस घोटाले (Scam) की आहट सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से पता चली है.
आरटीआई से खुलासा दर्जन भर जिलों में गड़बड़ी
आरटीआई एक्टिविस्ट शिवप्रकाश राय ने बड़ी संख्या में लोगों को बॉडीगार्ड मुहैया कराने के मामले में सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी थी. सीएजी से मांगी गई इस जानकारी में प्रदेश के दर्जनभर से ज्यादा जिलों में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं. कैग ने खुलासा किया है कि सरकार ने अरवल जिले में सबसे ज्यादा 1.24 करोड़ रुपये बॉडीगार्ड पर खर्च किए. वहीं अररिया में भी 1 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी की गई. इसके अलावा समस्तीपुर में 1 करोड़, पटना में 87 लाख, गया में 73 लाख और बक्सर में 44 लाख रुपये के साथ ही कई अन्य जिलों में भी निजी लोगों के बॉडीगार्ड पर पैसे खर्च हुए. इससे सरकार को अरबों रुपये का नुकसान हुआ.
हाईकोर्ट ने दे रखे हैं स्पष्ट दिशा-निर्देश
आरटीआई एक्टिविस्ट ने नियमों का हवाला देते हुए बताया कि हाईकोर्ट का साफ आदेश है कि वैसे लोगों पर ही बॉडीगार्ड के मद में सरकार पैसे खर्च कर सकती है जो सामाजिक सरोकार से जुड़े हों या उनकी जान पर किसी प्रकार का खतरा हो. लेकिन रिपोर्ट में सामने आया है कि कई आपराधिक प्रवृत्ति और माफिया किस्म के लोगों को भी बॉडीगार्ड मुहैया कराए गए. इसके बदले में राशि नहीं वसूली गई. आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि अगर पैसे की रिकवरी नहीं होती है, तो वह सरकार के खिलाफ कोर्ट जाएंगे.
चार साल में किया गया हेरफेर
गौरतलब है कि 2017 से लेकर 2021 तक बॉडीगार्ड आवंटन में यह घोटाला किया गया है. कैग की रिपोर्ट से बिहार पुलिस मुख्यालय भी अवगत है और कई जिलों के डीएम-एसपी पर भी जांच की आंच आ सकती है. इन अधिकारियों पर आरोप है कि निजी स्वार्थ में इन्होंने सरकार को राजस्व का नुकसान कराया.