Ayodhya Ram Mandir : हिंदू हृदय के बाद नए ‘योद्धा’ बने योगी आदित्यनाथ

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Ayodhya Ram Mandir : हिंदू हृदय के बाद नए 'योद्धा' बने योगी आदित्यनाथ

अयोध्या/लखनऊ
राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने जा रहा है। अयोध्या सज रही है और तैयारियों का जोर राजधानी लखनऊ से लेकर अयोध्या (Ayodhya) के गर्भगृह तक दिख रहा है। उत्साह और उम्मीदों के बीच एक और चीज है जो आने वाले दशकों में यूपी की सियासत की एक नई तस्वीर लिखने जा रही है। ये चीज है योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की वो भगवा हिंदुत्व आइकन की छवि जिसने प्रदेश की सियासत में एक नई चर्चा शुरू कर दी है।

एक जमाने में कल्याण सिंह जैसे फायरब्रांड हिंदुत्व वाले चेहरों को केंद्र में रखने वाली यूपी बीजेपी को अब योगी आदित्यनाथ के रूप में हिंदुत्व ब्रांड का बड़ा चेहरा मिल चुका है। सत्ता के शिखर पर बैठे योगी को सख्त प्रशासक के साथ एक ऐसे मास लीडर की पहचान मिलने लगी है, जिसके नाम पर हिंदू वोटों का एक मुश्त ध्रुवीकरण होना संभव कहा जाने लगा है। इस छवि को अब एक और बल का कारक मिला है और वो कारक है अयोध्या का राम मंदिर।

भव्य उत्सव और सीएम योगी की सक्रियता
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह को लेकर योगी आदित्यनाथ जिस अंदाज में तैयारियां कर रहे हैं, वह अभूतपूर्व है। राम नगरी को सजाया जा रहा है,दीपोत्सव की योजनाएं बन गई हैं और देश भर के प्रमुख मेहमानों को आमंत्रण भी भेजा जा रहा है। सीएम खुद इस सारे उत्सव की जिम्मेदारी ले चुके हैं और राम मंदिर का उत्सव एक भव्यतम रूप में दिखे इसके निर्देश भी दिए गए हैं।

फिर सियासत के केंद्र में राम और राम मंदिर
इन सब के बीच राम मंदिर यूपी की खबरों का केंद्र है। ये वक्त कल्याण सिंह का वही कालखंड याद कराता है, जब विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद सिंह ने सारी जिम्मेदारी खुद पर ले ली थी। चर्चाओं में उस वक्त राम मंदिर की तमाम खबरें थीं और कल्याण सिंह का सीएम कार्यालय सक्रिय भी। इस बार भी ऐसा ही है, सकारात्मक वजहों से मंदिर चर्चा में है तो योगी सारी गतिविधि की मॉनिटरिंग खुद कर रहे हैं। मंदिर का निर्माण कार्य 2020 में शुरू होना है, जिसे 2023 तक पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि 2022 के चुनाव में मंदिर वोट मांगने की वजह बनेगा ये तय है। मंदिर और हिंदुत्व की सियासत में भगवा रंग का वस्त्र पहने योगी की शक्तियां बढ़ेंगी।

गोरक्षपीठाधीश्वर की छवि बनी कारगर
मंदिर की राजनीति का असर कितना कारगर है, वो उस कालखंड से ही सिद्ध हो जाता है, जब कल्याण सिंह 1992 में सरकार से इस्तीफा देने के बाद 1997 में एक बार फिर उतने ही दम से सरकार में आए थे। कल्याण के दोबारा सियासत में आने के वक्त ढांचा विध्वंस की उस घटना के चर्चे और उसकी जिम्मेदारी लेने का अंदाज याद किया जाता रहा। ऐसा ही योगी के साथ भी है। यूपी के पहले कार्यकाल में सीएम बनने वाले योगी के पीछे गोरक्षपीठ महंत वाली छवि खड़ी रही तो आने वाले चुनाव में उनके पीछे राम मंदिर का भूमि पूजन समारोह भी खड़ा होगा। ऐसे में ये कयास लगते हैं कि महंत योगी आदित्यनाथ का वो ब्रांड फेस यूपी में एक बार फिर वोटों के ध्रुवीकरण का जरिया बनेगा।

तमाम प्रयोगों के बाद अब योगी के हाथ में कमान
सियासत के जानकारों का कहना है कि कल्याण सिंह के नेपथ्य जाने के बाद हिंदुत्व के जिस चेहरे को बीजेपी ढूंढने में राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह जैसे नेताओं पर दांव लगाने के बाद राजनीतिक वनवास झेल चुकी है, उसे योगी के आने से अब संजीवनी मिली है। राम मंदिर का निर्माण भले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो, लेकिन योगी ने मंदिर के निर्माण को जिस रूप में एक मेगा इवेंट बनाया है उसका असर ये जरूर है कि कल्याण के बाद योगी हिंदुत्व हृदय सम्राट वाली छवि को हासिल करने के रास्ते पर बढ़ चुके हैं।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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