भोपाल । केन्द्र सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। विपक्ष की सरकार की इस योजना में कई खामियां गिनवाते हुए इसका विरोध कर रहा है।
मप्र कांग्रेस नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भाजपा पर युवाओं को रोजगार देने की आड़ में अग्निपथ योजना को एक एजेंडे के तहत लाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा है कि भाजपा को युवाओं को नौकरी देने से कोई लेना देना नहीं है। यदि उसका मकसद वास्तव में रोजगार देना होता तो उसमें युवाओं के भविष्य को लेकर ठोस प्रावधान होते। योजना के सभी प्रावधान, लचर, बिखरे-बिखरे और अव्यवहारिक हैं। इसलिए पूरे देश में युवाओं का गुस्सा फूट रहा है।
अजय सिंह ने एक बयान में कहा कि इस तरह की कोई भी योजना लाने के पहले सरकार को सभी से चर्चा करना चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अग्निपथ योजना शुरू होने से पहले ही उसके दुष्परिणाम दिखने लगे।
युवाओं में तरह तरह की आशंकायें पनपने लगी। इसी तरह पहले भी सरकार बिना चर्चा के अचानक तीन कृषि क़ानून लाई थी जो अंतत: वापस लेने पड़े। नोट बंदी का निर्णय भी अचानक लिया गया और देश की तमाम जनता हलाकान होती रही।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अग्निपथ योजना पूरी तरह से अव्यवहारिक है। अग्निवीर और अग्निपथ जैसे लुभावने और ओजस्वी शब्दों की आड़ में सेना में ठेके पर युवाओं की संविदा भर्ती की जायेगी। एक निश्चित वेतन दिया जाएगा न कि निर्धारित वेतनमान। यह बेरोजगारों का एक तरह से शोषण ही है।
फिर चार साल बाद ये 75 प्रतिशत अर्धशिक्षित बाहर कर दिए जायेंगे। इन्हें स्किल्ड विशेषज्ञों की तरह अच्छी नौकरी भी नहीं मिलेगी। पूरे लोग गार्ड या सिपाही तो नहीं बन पायेंगे। बचे लोग चार साल सेना में रहकर शस्त्र चलाना सीखकर कहां जायेंगे। निराश होकर ऐसे बेरोजगारों में से कुछ लोग अंतत: गलत रास्ता ही पकड़ेंगे जो देश के लिए घातक होगा।
अजयसिंह ने कहा कि सरकार को सेना और विभिन्न विभागों के लाखों रिक्त पद हर साल निर्धारित प्रक्रिया के तहत भरना चाहिए। सेना में जाने के लिए लोग परीक्षा के पहले दो तीन साल तक कड़ी मेहनत करते हैं और गहन प्रशिक्षण लेते हैं। इसी तरह अन्य विभागों में भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कठिन तैयारी करते हैं। लेकिन सरकार ने खाली पदों को न भरकर पूरी प्रक्रिया ही ठप्प कर दी।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भीषण महंगाई के समय सरकार बेरोजगारों के साथ धेखा और छलावा कर उनकी मज़बूरी का मजाक बना रही है।
तभी तो हर साल दो करोड़ को नौकरी देने का वायदा किया था। बंगाल चुनाव में 17 लाख और यूपी चुनाव में 11 लाख युवाओं को नौकरी देने का वायदा किया गया था। लेकिन ये सभी वायदे जुमले ही साबित हुए।