आपातकाल के 45 साल पूरे : इंदिरा गांधी के जन्मदिन पर ही फूंका गया था पुतला

By SHUBHAM SHARMA

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आपातकाल में देशभर के विपक्षी नेताओं को जेल भेजा जा रहा था और कई नेता भूमिगत होकर काम कर रहे थे। यही स्थिति कमोबेश रायबरेली की भी थी जो कि आपातकाल का मुख्य कारण रही है।

ऐसे में यहां के स्थानीय विपक्षी नेताओं ने भी सरकारी तंत्र की नीतियों का जोर शोर से जबाब दिया था।आपातकाल के प्रमुख गवाह रहे पूर्व मंत्री गिरीश नारायण पांडे कहते हैं उस समय कब किसे जेल भेज दिया जाय पता नहीं था जिसकी जानकारी भी परिजनों को 15-20 बाद ही पता चलती थी। 

इंदिरा गांधी के जन्मदिन ही फूंका गया था पुतला 

आपातकाल के समय पूरे देश मे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्मदिन जोर शोर से मनाया जा रहा था। कांग्रेस के अलावा सरकारी स्तर पर भी कई आयोजन हो रहे थे। देश भर में पुलिस की कड़ी चौकसी के बीच जन्मदिन के कार्यक्रम आयोजित हो रहे थे।

19 नवम्बर 1975 को रायबरेली में भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्मदिन के कई कार्यक्रम कड़ी सुरक्षा के बीच हो रहे थे, जगह-जगह पुलिस बल मौजूद था। इस बीच कुछ उत्साही नौजवानों ने रायबरेली से संदेश देने की कोशिश की।

बताया कि शहर के घंटाघर चौराहे पर अचानक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कुछ कार्यकर्ता मुकेश कक्कड़ के नेतृत्व में आये और साथ लाये एक पुतले को जलाकर नारेबाजी शुरू कर दी। चौराहे से कुछ ही दूर मौजूद पुलिसकर्मी हतप्रभ रह गए। घटना के तुरन्त बाद उच्च स्तर पर प्रशासन सक्रिय हुआ और गिरफ्तारी का दौर शुरू हुआ। 

पाण्डेय बताते हैं कि घटना में शामिल नौजवानों को गिरफ़्तार ही नहीं किया गया बल्कि उस महिला को भी खोज निकाला गया था जिसने पुतला बनाया था। रायबरेली में घटी यह घटना अंतराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन गईं। बीबीसी ने भी रायबरेली में पुतला जलाने की इस घटना को प्रमुखता से प्रसारित किया था। 

आपातकाल में जेल में लगती रही शाखा

रायबरेली में भी बड़ी संख्या में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल भेजा जा रहा था। इनमें कई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े थे। इन लोगों ने जेल के अंदर ही शाखा लगाना शुरू कर दिया, जिस पर उस समय पूर्णतया प्रतिबंध लगा हुआ था।

जेल में बंद कार्यकर्ता प्रतिदिन जेल में शाखा लगाते रहे। जिसके विरोध में तत्कालीन जिला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गया प्रसाद शुक्ल ने जिलाधकारी से लिखित शिकायत भी की, लेकिन प्रशासन इस पूरे मामले में असहाय बना रहा और जेल में शाखा लगातार जारी रही।

आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि संघ की शाखा पर देश भर में प्रतिबंध लगा था, बावजूद इसके आम जन इन शाखाओं से जुड़ा रहा और आपातकाल में शाखा लोगों को जोड़ने का एक माध्यम बना रहा।

चाय के लिये करना पड़ा अनशन

आपातकाल के समय जेल में बंद राजनीतिक कार्यकर्ताओं को मैनुअल के हिसाब से भी खाने पीने की चीजें नहीं दी जा रही थी, जिसका बंदी लगातार विरोध करते रहते थे। रायबरेली के जेल में बंद कार्यकर्ताओं को भी चाय नहीं मिल रही थी, जिसके लिए कई बार प्रयास किया गया था। 

लोकतंत्र सेनानी और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री गिरीश नारायण पांडे के अनुसार वह भी उन बंदियों में से एक थे। गिरीश नारायण पांडे के अनुसार कई बार चाय मांगने पर भी नहीं दी जा रही थी, जिससे हारकर हम लोगों ने अनशन का रास्ता चुना। सभी बंदियों ने खाना पीना छोड़ दिया। अंततः दो दिन बाद जेल प्रशासन पसीजा और सभी राजनीतिक बंदियों को चाय उपलब्ध कराई जाने लगी।

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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