डेस्क।हम छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया कहावत तब चरितार्थ हो गई जब नेपाल में हमारी प्रदेश की बस्तर जिले के जगदलपुर की पर्वतारोही नैना धाकड़ माउंट एवरेस्ट फतह करने के प्रयास में अत्यधिक थकान के कारण बीमार हो गई । और जैसे ही पर्वतारोही रायगढ़ की याशी जैन को यह पता चला तो बिना समय खोये वो पर्वतारोही नैना की सकुशल वापसी मे जुट गईं ।
ज्ञातव्य है कि याशी जैन अपने दो प्रयासों के बावजूद माउंट एवरेस्ट पर फतह नहीं कर पाई थी और दोनो बार माऊंट एवरेस्ट के टाँप से कुछ ही दूरी से खराब मौसम के कारण लौटना पडा था । और बेस कैम्प से भी कई मुश्किलों के बावजूद सुरक्षित काठमांडू आ गई थी और शीघ्र ही रायगढ़ छत्तीसगढ़ लौटने वाली थी ।
जबकि पर्वतारोही नैना धाकड अपने एक्सपिडीसन को पूरा करने की तैयारी कर रही थी और याशी काठमांडू से लगातार पर्वतारोही नैना के एक्सपीडिशन पर नजर रख रही थी । 1 जून की सुबह नैना का एक्सपिडीसन पूर्ण हो जाना था और टाँप पर पहुंच जाना था, परंतु दोपहर तक जब कोई न्यूज़ नहीं आई तो याशी चिंतित हो गई और नैना की कंपनी से लगातार संपर्क की कोशिश करने लगी ।
बड़ी मुश्किल से लगभग दोपहर 2 बजे याशी को पता चला कि नैना अत्यधिक थकान के कारण बीमार हो गई है और माउंट एवरेस्ट से नीचे आने की हिम्मत नहीं कर कर पा रहीं हैं । ऐसे मे याशी ने हिम्मत जुटाई और तुरंत छत्तीसगढ़ के प्रथम माउंट एवरेस्टर राहुल गुप्ता (अंबिकापुर) और अपने पिता अखिलेश जैन (रायगढ़) से संपर्क साधा और रिक्वेस्ट की प्लीज कुछ करो नैना की जान बचाओ ।
तुरंत ही बस्तर जिला प्रशासन से संपर्क साधा गया । फिर जगदलपुर मुख्यालय में कलेक्टर रजत बंसल और एस डी एम गोकुल राऊते को पूरी घटना की जानकारी दी गयी । उन्होने तुरंत नेपाल स्थित इंडियन एम्बेसी से बात की और संबंधित कंपनियों से सम्पर्क साधा । प्रशासन के हरकत मे आते ही तुरंत नैना के लिये रेस्क्यू आपरेशन शुरू हो गया । और वहाँ के एक्सपर्ट शेरपा नैना को रेस्क्यू करने ऊपर बढ़ गए । शाम 6:00 बजे तक नैना को रेस्क्यू करके कैंप चार तक ले आया गया था । और अब वह आउट ऑफ डेंजर है ।
पर्वतारोही याशी की तत्परता और सह्रदयता से पर्वतारोही नैना का रेस्क्यू सफल हो सका । रिपोर्ट लिखे जाने तक पर्वतारोही नैना को और नीचे लाने के प्रयास हो रहे हैं, और नैना की सकुशल वापसी हो सके इसके लिए बस्तर जिला प्रशासन के अनुरोध पर याशी काठमांडू में ही रुकी हुई है ।
हालांकि उनके लौटने की पूरी प्लानिंग हो चुकी थी और वो दिनांक 03/6/ 21 को काठमांडू से चलने वाली थी । अब बस्तर जिला प्रशासन के अनुरोध पर जब तक नैना स्वस्थ न हो जाए तब तक याशी वही रुकी हैं । और नैना के रेस्क्यू पर बराबर नजर रखे हुए हैं । इस तरह याशी ने सच्ची खेल भावना दिखाई और साबित किया कि हममें आपसी प्रतिद्वंदिता कितनी भी हो पर छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया है और हम एक दूसरे की मदद को हमेशा तत्पर रहते हैं ।
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