पुनः कैसी आई भीषण कोरोना की यह दूसरी लहर।
पर इस विषम परिस्थिति में भी डॉक्टर ड्यूटी देते हर प्रहर॥
40 डिग्री सेंटीग्रेट में भी पीपीई किट में कैसा होता होगा हाल।
इनकी कर्तव्य परायणता से ही बच सके कितने लाल॥
12 घंटे पीपीई किट में करते अविराम कठिन तपस्या।
दिन-रात के कालचक्र में दूर करते पीड़ितों की समस्या॥
निःशब्द है इनकी कर्तव्यनिष्ठा के आगे आज हम।
इनकी उदार सेवाभावना, अथक परिश्रम से हुए कोरोना के आँकड़े कम॥
जब भी कोरोना महामारी का नाम मुख पर आएगा।
तुम्हारी सेवानिष्ठा के प्रति शीश स्वतः झुक जाएगा॥
कोरोना संक्रमण से बेपरवाह रहते कर्तव्यपथ की ओर अग्रसर।
यहीं तो है सच्चे अर्थो में माँ भारती की सेवा का अवसर॥
इस महामारी में तुम तो हो प्रत्यक्ष भगवान का रूप।
परिस्थितियों के साथ सामंजस्य में तुमने दिखाया अपना करुणामयी स्वरूप॥
तुम हुए परिस्थितियों से कभी-कभी लाचार।
फिर भी उपलब्ध संसाधनो से किया कुशल व्यवहार॥
कोरोना पीड़ितों के ईलाज में भूल गए अपना घर-परिवार।
तुम्हारी अनवरत सेवा से ही कम हो सका कोरोना हाहाकार॥
यह पसीना तुम्हारा नहीं जाएगा बेकार।
कोरोना मुक्त भारत का स्वप्न होगा साकार॥
डॉ. रीना कहती मत जाने दीजिए इनका परिश्रम व्यर्थ।
रोक लो स्वयं को घरो में, नहीं तो होगा अनर्थ॥
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)