सिवनी: नगरपालिका सिवनी के चुनाव परिणामों में भाजपा को 10 वार्डों में सफलता हासिल हुई है लेकिन अभी भी संगठन एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधि अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए समीकरण बनाने का प्रयास कर रहे हैं जहां मंथन जारी है कि ओबीसी वर्ग के किस पार्षद को भाजपा अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतारे।
विगत 15 वर्षों से नपा सिवनी में प्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहे चुनावों में भाजपा के अध्यक्ष निर्वाचित होते रहे हंै लेकिन अब स्थिति विपरीत है जहां पार्षद ही अध्यक्ष के लिए मतदान करेंगे।
आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो कांग्रेस के पास 13 पार्षदो के साथ पूर्ण बहुमत है परंतु अभी भी कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के उम्मीदवार का चयन नहीं कर पाई है क्योंकि अल्पसंख्यक वर्ग से आने वाले तीन पार्षद शफीक खान, सोहेल पाशा एवं राजिक अकील प्रमुख दावेदार हंै वही दल के पास ओबीसी वर्ग से आने वाली तीन महिला पार्षद भी मौजूद हैं।
विधानसभा चुनाव के समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अल्संख्यक पार्षद को अध्यक्ष बनाएगी इसी तरह अनेक तरह की राजनैतिक चर्चाएं व्याप्त हैं। इसी कारण अभी तक कांग्रेस के सूत्र अध्यक्ष के दावेदारों के नामों की चर्चा तक नहीं कर रहे हैं।
कांग्रेस में जारी इस राजनैतिक असमंजस का भाजपा फायदा उठाने के लिए पूरा प्रयास कर रही है। सूत्र बता रहे हैं कि सुभाष वार्ड से निर्दलीय निर्वाचित प्रत्याशी श्रीमति प्रभा दुबे भाजपा के संपर्क में हैं ऐसे में सत्तासीन दल के पास 11 पार्षद उपलब्ध हो सकते हैं।
संगठनात्मक तौर पर सीवी रमन वार्ड से निर्वाचित ज्ञानचंद सनोडिया तथा विवेकानंद वार्ड से ऐतिहासिक विजय प्राप्त करने वाले युवा राजू यादव के नाम पर मंथन जारी है लेकिन जिला उपाध्यक्ष ज्ञानचंद सनोडिया के नाम पर सांसद डॉ ढालसिंह बिसेन, विधायक मुनमुन राय, पूर्व जिलाध्यक्ष सुजीत जैन, जिला भाजपा उपाध्यक्ष संतोष अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ नेता अपनी असहमति जिलाध्यक्ष के समक्ष विभिन्न माध्यमों से दर्ज करा चुके हैं।
ज्ञानचंद सनोडिया का व्यक्तित्व व्यवहारिक रूप से राजनेता का नही हैं जब भी वे पद में रहते हैं तो उनका कार्यकर्ताओं से कोई सीधा संपर्क नहीं होता। जिला उपाध्यक्ष के तौर पर भी उनका कोई अहम योगदान संगठन के कार्यक्रमों में नही दिखाई देता वही वरिष्ठ नेताओ ंसे भी उनके संबंध मधुर नही हैं। चुनाव परिणामों के बाद ज्ञानचंद की जीत पर भाजपा कार्यालय में ही चर्चा होते रही कि सी.वी रमन वार्ड से दल जीता है ज्ञानचंद सनोडिया नहीं।
आम राय ना बनने की स्थिति में विकल्प के तौर पर ओबीसी वर्ग के पार्षद राजू यादव बेहतर स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। वार्ड में पूर्व पार्षदों के भारी विरोध के बाद भी इस युवा ने तमाम समीकरणो ंको ध्वस्त करते हुए 752 मतों से ऐतिहासिक विजय प्राप्त की थी जिसके बाद से ही उनका कद दल में बढ़ा है।
व्यवहार कुशल राजू जिला भाजपा अध्यक्ष आलोक दुबे के सबसे विश्वास पात्र सिपहसालार में शामिल हैं। गुट की राजनीति में इस युवा ने कभी भाग नही लिया वहीं वरिष्ठ नेताओं का अपनी व्यवहारकुशलता से राजू समय-कुल मिलाकर देखा जाये तो भाजपा ने कांग्रेस के खेमे में सेंध लगाकर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा तो ज्ञानचंद से बेहतर राजू यादव प्रत्याशी हो सकते हैं क्योंकि व्यवहार कुशल इस युवा को कांग्रेस के कुछ पार्षद वोटिंग के दौरान समर्थन दे सकते हैं जबकि ज्ञानचंद के लिए ऐसे कोई संकेत भाजपा को नहीं मिल रहे हैं।
सूत्र बता रहे हैं कि ज्ञानचंद सनोडिया जिला संगठन की बजाए प्रदेश अध्यक्ष के गुट में शामिल होने के लिए लगातार भोपाल की परिक्रमा कर रहे हैं जबकि अंतिम फैसला जिले के नेताओं को करना है ऐसे में ज्ञानचंद की दूरियां आलोक दुबे से बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
वही राजू यादव वार्ड में सक्रिय रहकर पार्षद की भूमिका निभाते हुए लगातार निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मेल मिलाप कर रहे हैं।