सिवनी: सांसद बिसेन ने लोकसभा में उठाया बागरी (बागड़ी) जाति को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में मामला, सांसद बिसेन ने लोकसभा में मामला उठाते हुए कहा मेरे संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत सिवनी जिले में बागरी (बागड़ी) जाति बहुतायत में निवास करती है जो कि म.प्र. के अनुसूचित जाति की श्रेणी के क्रमांक 02 में अनुसूचित जाति के अंतर्गत अधिसूचित है।
संविधान के अनुच्छेद 341 के अंतर्गत राज्य में किसी भी जाति को अनुसूचित जाति के अधिसूचित करने का अधिकार महामहिम राष्ट्रªपति जी को है। इस अनुच्छेद के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में बागरी जाति पूरे म.प्र. राज्य में अनुसूचित जाति के रूप में मान्य है तथा संपूर्ण म.प्र. में जाति प्रमाण पत्र लगातार जारी किये जा रहे है।
महोदय आपको अवगत कराना चाहता हूं कि मेरे संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले में बागरी जाति को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र नही दिये जा रहे है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली के जारी परिपत्र क्रं. J-22/M.P.-8/2003/SSW-II दिनांक 08.10.2003 मुख्य सचिव म.प्र. शासन को कर निर्देश दिये थे कि म.प्र.राज्य स्तरीय अनुसूचित जाति छानबीन समिति के निर्णय दिनांक 12 मार्च 2003 एवं उस संदर्भ में जारी पत्र क्रं. एफ 23-55/98/25-4 भोपाल दिनांक 14.07.2003 का तत्काल निरस्त करते हुये बागरी जाति को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी करें
इसके पश्चात् म.प्र. शासन आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रं. एफ 23-55/90/25-4 भोपाल दिनांक 25 नवंबर 2004 को बागरी जाति को अनुसूचित जाति के प्रमाण जारी करने के निर्देश जारी कर दिये गये थे किंतु अभी भी सिवनी जिले में बागरी जाति को अनुसूचित जाति के जाति प्रमाण पत्र नही बनाये जा रहे हैं और उनके द्वारा दिये जाने वाले आवेदन पत्रों को लगातार निरस्त किया जा रहा है।
जबकि जनगणना में बागरी जाति को अनुसूचित जाति में सम्मिलित किया गया है। स्थानीय निकायांे के चुनावों में बागरी जाति को अनुसूचित जाति का मानकर आरक्षण किया जाता है जिसमें वे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निकायों/वाार्डो में इन्हें चुनाव लड़ने की पात्रता मिलती है तथा वे इन आरक्षित निकायों/वार्डो में पंच, सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, पार्षद एवं अन्य पदों पर निर्वाचित होते हैं पर इन्हें जाति प्रमाण नहीं दिया जाता। जिससे भारी असमंजस की स्थिति निर्मित हो रही हैं।
इस संबंध में म.प्र.सरकार द्वारा विधानसभा में दिये गये जवाब दिया कि बागरी जाति को छानबीन उपरंात अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे है एवं मान. उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा बागरी जाति को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र बनाने के आदेश दिये गये है किंतु सिवनी जिले में आवेदन पत्रों को निरस्त करना लगातार जारी है जो कि अनुचित है।
जिले में बागरी जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र न मिलने से जाति समाज के लोगों में भारी आक्रोश है। अतः मैं सदन के माध्यम से आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि सिवनी जिले के बागरी जाति को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी किये जाने हेतु म.प्र.शासन को निर्देश जारी करने का कष्ट करें।
यदि इन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाना है तो जनगणना में इन्हें अनुसूचित जाति से पृथक किया जाये तथा इनके लिये आरक्षित वार्डो निकायों को अनारक्षित वर्ग में रखा जाये ताकि असमंजस की स्थिति को समाप्त हो सके।