डेस्क।आज भारत में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां, ट्रैवल्स कंपनियां, पांच सितारा होटल और आईटी कंपनियां विदेशी भाषा के अच्छे जानकारों की खोज में हैं। एमबीए और बीबीए की पढ़ाई कराने वाले संस्थानों में भी छात्रों को एक विदेशी भाषा सिखाने का प्रचलन जोरों पर है।
इनमें फ्रेंच, स्पैनिशन, इटैलियन, जर्मन, रशियन, जापानी और कोरियन जैसी भाषाएं प्रमुख हैं। इन संस्थानों में भी शिक्षकों की अच्छी खासी मांग है। मेडिकल टूरिज्म के तहत खाडी के देशों के निवासी हर साल यहां निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराने आ रहे हैं। इन्हें उचित तरीके से मार्गदर्शन के लिए विदेशी भाषा के विशेषज्ञ की जरुरत पड़ती है।
अब इससे भी बड़ी बात यह है कि विभिन्न देशों के अपने क्लाइंट्स को अपने साथ जोड़े रखने की चुनौती इन बड़ी बडी कंपनियों के साथ खड़ी हो गई है। इसके लिए उन्हें विदेशी भाषा के जानकारों का सहारा लेना पड़ रहा है।
वैश्वीकरण के दौर में अनुवाद और पत्र पत्रिकाओं का संपादन भी ऐसे लोग के लिए निजी व्यवसाय के रूप में काम करने का मौका दे रहा है। विदेशी भाषाओं के जानकार विदेशी मीडिया में भारत से ही रिपोर्टिंग का काम संभाल रहे हैं। इधर मेक इन इंडिया ने इस प्रक्रिया को और बढ़ावा दिया है। विदेशी कंपनियां भारत में अपने बेस ऑफिस स्थापित कर रही हैं। ऐसी बहुत कंपनियां हैं जो अंग्रेजी की अपेक्षा अपनी भाषा में ही कार्य करने को प्राथमिकता देते हैं।
उन कंपनियों के अधिकारियों को भारतीय समकक्षों के साथ बात करने में भाषाई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए विदेशी भाषाओं के साथ ही साथ ही तकनीकी एक्सपर्टीज होना भी जरूरी हो गया है।
टीचिंग
टीचिंग भी एक बेहतरीन जॉब ऑप्शन हो सकता है। कई संस्थान फॉरेन लेंग्वेज में कोर्स करवाते हैं। यहां आप लेंग्वेज टीचर के रूप में काम कर सकते हैं। आप चाहें तो पार्ट टाइम भी इन संस्थानों में टीचिंग कर सकते हैं। यहां भी आपको अच्छा वेतन मिल सकता है।
इंटरप्रेटर
टेलीकॉन्फ्रेंसिंग या वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग जैसी टेक्नोलॉजी आने से अब आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठ कर किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ उनकी भाषा में मीटिंग कर सकते हैं। इस तरह आप एक इंटरप्रेटर के तौर पर कार्य कर अच्छा वेतन हासिल कर सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता
कोई भी भाषा सीखने के लिए कोई विशेष शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है। आप 12वीं के बाद भी पढ़ाई कर सकते हैं औ यूनिवर्सिटी स्तर के बाद भी।
स्किल
इस क्षेत्र में आने वाले छात्र को संबंधित विदेशी भाषा पर कमांड होनी चाहिए। बेहतर कम्युनिकेशन स्किल इस क्षेत्र में कामयाबी के कई रास्ते दिखाती है। अगर अनुवादक बनना चाहते हैं तो विदेशी भाषा के साथ साथ अंग्रेजी या हिन्दी पर भी पकड़ होनी चाहिए। जिस विदेशी भाषा को सीख रहे हैं उसका व्याकरण, वाक्य संरचना और उससे जुड़ी संस्कृति व इतिहास की भी जानकारी होनी चाहिए। आकर्षक व्यक्तित्व भी होना चाहिए क्योंकि कई जगहों पर इसकी अपेक्षा भी की जाती है।
फॉरेन सर्विसेज
फ्रेंच, जर्मन और रश्नि भाषाओं में मास्टर्स करने वाले व्यक्ति संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस या आईएफएस में जा सकते हैं। इसके साथ ही अब विभिन्न मल्टी नेशनल कंपनियां अपने यहां अलग अलग भाषाओं के जानकारों को रख रही हैं।