गोमतीनगर लखनऊ में डॉ हर्ष अग्रवाल की 38 वर्षीय पत्नी रुचि अग्रवाल की हत्या केवल अग्रवाल समाज के लिए नही बल्कि पूरी मानवता को झकझोर देने वाली है । जिसमे डा हर्ष अग्रवाल को अपने घर मे कारपेंटर का कुछ करवाना था जिसके लिए उन्होंने ठेकेदार कमरूदीन से संपर्क किया एवम कमरूदीन ने गुलफाम बढई को डॉ साहब के घर भेजा।
जिसके पश्चात काम करने के दौरान गुलफाम ने चाकू की नोंक पर 4 वर्ष की बेटी प्रियांशी को लेकर रुचि अग्रवाल से रुपयों की मांग की पर एक माँ ने अपनी बच्ची के लिए संघर्ष किया एवम गुलफाम के चाकुओं का शिकार होकर उन्हें अपना जीवन त्यागना पड़ा उनकी मृत्यु हो गयी ।
अब प्रश्न इस बात पर अवश्य होना चाहिए कि कब तक हम इतने लापरवाह रहेंगे की हम ये देखने की कोशिश भी नही करेंगे कि हम अपने घरों में किन लोगों को भेज रहे है ।
क्या उस माँ की गलती थी कि उसने अपनी बच्ची के लिए संघर्ष किया या उस बाप की जो आज आधुनिक/मॉडर्न/सेक्युलर समाज की दुहाई देकर अपने घरों में किसीको भी जगह दे देते है कब तक ये समाज सामाजिक समरसता के चलते लापरवाह बना रहेगा।इस विभस्त घटना का विरोध पूरे अग्रवाल समाज को करना चाहिए एवम ऐसे कठोर निर्णय व नियम भी बनाने चाइये जिसके चलते ऐसे विधर्मी एवम अपराधी हमारे प्रतिष्ठानों व घरों में प्रवेश भी न कर सकें।
ऐसे विधर्मी आसानी से लगातार अपराधों को कर रहे हैं उसका कारण है कि अब सभ्य समाज के परिवारों में लोगो की संख्या कम है एवम यदि किसी की मृत्यु हो भी गयी तो मुकदमा लड़ने व अगले सदस्य को खोने के डर से परिवार का दूसरा व्यक्ति सामने ही नही आ पाता जिसके चलते अपराधी की भी गिरफ्तारी होने के बाद आसानी से जमानत हो जाती है एवम वो अपराधी या उसके साथी फिर दूसरा अपराध करने के लिए तैयार हो जाते हैं। अपनी सुरक्षा के लिए कुछ सार्थक निर्णय समाज को लेने ही पड़ेंगे।