शिवरात्रि 2022: संपूर्णता के पर्याय हैं शिव, उपासना से अच्छे और बुरे सभी की पूरी होती है कामना

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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नई दिल्ली। भगवान शिव की प्रतिष्ठा और पूजा-परंपरा हमारे समाज में प्राचीन काल से ही प्रचलित है, किंतु हमारे शास्त्रों में वर्णित शिव का स्वरूप उनके देवत्व की पृष्ठभूमि में मनुष्य कल्याण के अनेक नए प्रतीकार्थ भी प्रस्तुत करता है। शिव का एक अर्थ कल्याण भी है। इसलिए शिव कल्याण के प्रतीक हैं और शिव की उपासना का अर्थ मनुष्य की कल्याणकारी कामना की चिरसाधना है।

कल्याण सब चाहते हैं। अच्छे लोग भी अपने कल्याण के लिए प्रयत्न करते हैं और बुरे लोग भी। यही शिव की सर्वप्रियता है। शिव देवताओं के भी आराध्य हैं और दैत्य भी उनकी भक्ति में लीन दर्शाए गए हैं। श्रीराम ने सागर तट पर रामेश्वरम की स्थापना और पूजा कर शिव से अपने कल्याण की कामना की और रावण ने भी जीवन भर शिव की अर्चना करके उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयत्न किया।

शिव का श्मशान-वास उनकी वैराग्य-वृत्ति का प्रतीक है। मानसिक शांति उसी को मिल सकती है जो वैभव-विलास से दूर एकांत में रहकर ईश्वर का भजन करने में रुचि लेता है। जिसकी आवश्यकताएं न्यूनतम हैं वही शिव हो सकता है। लौकिक इच्छाओं और भौतिक संपत्तियों से घिर कर शिव नहीं बना जा सकता। अत: शिवत्व की प्राप्ति के लिए वीतरागी बनना अनिवार्यता है।

शिव मानसिक शांति के प्रतीक हैं। वह तपस्या में रत अवस्था में उस मनुष्य के प्रतीक हैं जिसे किसी और से कुछ लेना-देना नहीं रहता। जो अपने में ही मस्त और व्यस्त है, शांत है। ऐसी सच्ची शांति उसी के मन में होती है जो कामनाओं से शून्य होता है। शिव शांति चाहते हैं, अत: कामनाओं के प्रतीक कामदेव को तत्काल भस्म कर देते हैं। शिव का विषपान सामाजिक जीवन में व्याप्त विषमताओं और विकृतियों को पचाकर भी लोक कल्याण के अमृत को प्राप्त करने की प्रक्रिया का जारी रखना है।

समाज में सब अपने लिए शुभ की कामना करते हैं। अशुभ और अनिष्टकारी स्थितियों को कोई स्वीकार करना नहीं चाहता। अमृत का पान करने के लिए सभी आतुर रहते हैं, किंतु संघर्ष का हलाहल पीने को कोई आगे आना नहीं चाहता। वर्गो और समूहों में विभक्त समाज के मध्य उत्पन्न संघर्ष के हलाहल का पान लोक कल्याण के लिए समर्पित शिव अर्थात वही व्यक्ति कर सकता है जो लोकहित के लिए अपना जीवन दांव पर लगाने को तैयार हो। समाज रूपी सागर से उत्पन्न हलाहल को पीना और पचाना शिव जैसे समर्पित व्यक्तित्व के लिए ही संभव है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि शिवत्व की प्रतिष्ठा में ही विश्व का कल्याण संभव है। शिव की उपासना के अन्य आध्यात्मिक-पौराणिक विवरण आस्था और विश्वास के विषय हैं।

उन पर पूर्ण श्रद्धा रखते हुए यदि हम बौद्धिक धरातल पर शिव से संबंधित इन प्रतीकों को समझने का भी प्रयत्न करें तो जीवन की अनेक व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं के समाधान सहज संभव हैं।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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