तिब्बत की धार्मिक संस्थाओं पर कब्जा करने की फिराक में है चीन, 15 वें दलाई लामा को अपने मुताबिक चुनने की बना रहा है रणनीति

By Khabar Satta

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ताइपे। चीन तिब्बत की धार्मिक संस्थाओं पर अपना कब्जा करना चाहता है। यह उसकी रणनीति का हिस्सा है और वह 14 वें दलाई लामा के निधन से पहले ही सभी परिस्थतियों को अपने अनुकूल बनाने के इरादे से काम कर रहा है, जिससे अपने मुताबिक 15वें दलाई लामा का चयन करा सके। ताइवान टाइम्स में त्से सांग पालजोर ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि चीन चाहता है कि जिस तरह से उसने नब्बे के दशक में अपने कठपुतली को पंचेन लामा बनाया था

चीन अब उसका इस्तेमाल करते हुए अपने द्वारा चुने गए नेता को 15वां दलाई लामा घोषित कराने की योजना पर काम कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 91 फीसद तिब्बती चीन के द्वारा बनाए गए पंचेन लामा को स्वीकार नहीं करते हैं। उसको वह असली नहीं वरन नकली पंचेन लामा मानते हैं। चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा किया था। दलाई लामा 1959 में तिब्बत को छोड़कर भारत आ गए थे।

चीनी अब तिब्बत को चीन का ही हिस्सा मानने लगे हैं और वो चाहते हैं कि यहां के सभी धार्मिक संस्थान उनके ही नियंत्रण में हो जाएं। आने वाले में तिब्बत के धार्मिक नेता के चयन के दौरान बड़ा शक्ति प्रदर्शन होने का अंदेशा है। 14 वें दलाई लामा के बाद की स्थितियां संघर्षपूर्ण हो सकती हैं। यही कारण है कि मौजूदा दलाई लामा ने यह घोषणा की हुई है कि अगला दलाइ लामा तिब्बत के बाहर पैदा हुआ है। इन स्थितियों में चीन अपने तरीके से दलाई लामा की खोज करेगा और निर्वासित तिब्बती अपने तरीके से दलाई लामा की खोज करेंगे।

Khabar Satta

खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता

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