नेपाल में सियासी गतिरोध बरकरार: विरोध के बीच चीन की मुश्किलें बढ़ी, भारत की चुप्‍पी पर हैरान ड्रैगन

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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काठमांडू। नेपाल में सियासी गतिरोध के बीच नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के अध्‍यक्ष पुष्‍प कमल दहल प्रचंड ने मंगलवार को भारत, अमेरिका और यूरोपीय देशों से मदद की मांग की है। नेपाल की राजनीति में चीन की दखल को देखते हुए उन्‍होंने तत्‍काल राजनीतिक मदद की गुहार लगाई है। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि चीन के दखल से नेपाल भयभीत हो गया है। नेपाली नेता प्रचंड ने कहा है कि भारत हमारी मदद करे, हम लोकतंत्र समर्थक देश हैं। हालांकि, कम्‍युनिस्‍ट नेताओं की भारत के प्रति इस झुकाव को शंका की दृष्टि से देखा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है क‍ि क्‍या नेपाल सच में चीन से भयभीत हो गया है। भारत और अमेरिका से मदद मांगने के क्‍या हो सकते हैं निहितार्थ।

नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीनी हस्‍तक्षेप से ड्रैगन के प्रति असंतोष

नेपाल में जिस तरह से चीन के प्रतिनिधिमंडल का विरोध हो रहा है, उससे एक बात साफ हो गई है कि देश के आंतरिक मामले में वहां के लोग किसी तरह का बाहरी हस्‍तक्षेप स्‍वीकार नहीं करेंगे। दूसरे, इस पूरे मामले में भारत की चुप्‍पी ने चीन की चिंता बढ़ाई है। नेपाल पहुंचा चीन का प्रतिनिधिमंडल यहां के सियासी संकट को दूर करने में असफल रहा है। नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीनी हस्‍तक्षेप से ड्रैगन के प्रति असंतोष उत्‍पन्‍न होने का खतरा पैदा हो गया है। इसलिए यह माना जा रहा है कि नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के लिए अपने देश की जनता का ध्‍यान बांटने के लिए भारत और अमेरिका का नाम लिया है।

नेपाल की राजनीति में चीन के दखल पर उठ रहे सवाल

उधर, नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीन की बढ़ती दिलचस्‍पी पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेपाल में जमकर विरोध हो रहा है। नेपाल के लेखक कनक मणि दीक्षित ने ट्व‍िटर पर लिखा है कि जब नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है तो चीनी प्रतिनिधिमंडल देश की राजनीति में दखल क्‍यों दे रहा है। उन्‍होंने आगे लिखा है कि ऐसा प्र‍तीत होता है कि इस चीनी प्रतिनिधिमंडल को प्रचंड ने आमंत्रित किया है। उधर, चीन ने कहा है कि गो यूझू की टीम काठमांडू में दोनों देशों के राजनीतिक दलों के संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए पहुंची है। चीन ने कहा कि हम उम्‍मीद करते हैं कि नेपाल के राजनीतिक दलों के बीच उपजे मतभेद बड़े हितों का ध्‍यान रखते हुए अपने आंतरिक मामलों को सुलझा लेंगे। चीन ने उम्‍मीद जाहिर की है कि देश में राजनीतिक स्थिरता और विकास सुनिश्चित करेंगे।

कम्युनिस्ट पार्टी को टूटने से बचाने की कोशिश में नाकाम रहा चीन

गौरतलब है कि चीन ने नेपाल में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच वहां अपना एक प्रतिनिधिमंडल भेजा है। नेपाल की राजनीतिक समस्‍या के समाधान के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप-मंत्री गोउ येझू के नेतृत्व में चार सदस्यीय प्रतिनिधमंडल ने पिछले तीन दिनों में तमाम नेपाली नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। माना जा रहा है कि चीनी प्रतिनिधमंडल नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी को टूटने से बचाने की कोशिश में नाकाम होता नजर आ रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो चीन अब प्लान-बी पर भी काम कर रहा है। इसके तहत, वो नेपाल के विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत कर रहा है।

एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी बनाने में चीन की अहम भूमिका

बता दें कि वर्ष 2018 में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी ने मिलकर एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी बनाई थी। इसमें चीन की अहम भूमिका बताई गई थी। नेपाल की सत्ताधारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी पर चीन का गहरा प्रभाव है, इसलिए चीन नहीं चाहता कि पार्टी के भीतर फूट पड़े। हालांकि, पार्टी एक बार विभाजित होने के कगार पर पहुंच गई है। पार्टी में एक धड़ा प्रधानमंत्री ओली का है और दूसरा पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड का है। प्रचंड ने मंगलवार को ओली के संसद भंग करने और समय से पहले चुनाव करने के फैसले की तीखी आलोचना की थी। प्रचंड माधव नेपाल और झालानाथ खनाल के साथ मिलकर ओली के खिलाफ एक संयुक्त रैली भी निकालने वाले हैं, जबकि एक दिन पहले ही तीनों नेताओं ने चीनी प्रतिनिधिमंडल से अलग-अलग मुलाकात की है।

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