‘टाइपिस्ट अम्मा’ के नाम से मशहूर लक्ष्मीबाई को वीरेंद्र सहवाग ने बताया सुपरवुमेन
उम्र कभी भी समय की मोहताज नहीं होती है,बस सभी काम को करने के लिए इंसान में जज्बा होना जरूरी होता है।आप किसी भी उम्र में कोई भी काम कर सकते हैं।कुछ लोग काम मजबूरी में करते हैं, तो वही कुछ लोग काम अपने शौक के लिए करते हैं।जिला कलेक्ट्रेट ऑफिस में बैठने वाली लक्ष्मी बाई जिस स्पीड से टाइपिंग मशीन पर उंगुलियां चलाती हैं आप उसे देख कर दंग रह जाएंगे. लक्ष्मी बाई के इस जज्बे को देखते हुए उनकी वीडियो शेयर कर सहवाग ने उन्हें सलाम किया है।
कलेक्ट्रेट ऑफिस में टाइपिस्ट लक्ष्मी बाई बताती हैं, मैं यहां अपनी बेटी के साथ रहती हूं. वह दिव्यांग है। टाइपिंग से होने वाली कमाई से ही मैं उसकी देखभाल करती हूं। बहुत साल पहले मेरे पति ने हम दोनों को घर से निकाल दिया था।तब से मैं अपना और अपनी बेटी का ख्याल खुद रख रही हूँ।
जब उनसे पूछा गया टाइपिंग करना कैसे सीखा, इस पर उन्होंने बताया, “साल 2008 तक मैं इंदौर के सहकारी बाजार में पैकिंग का काम करती थी।वहां काम करने वाले लोगों को देख-देख कर टाइपिंग सीखी थी।वहीं मेरी मुलाकात तात्कालीन कलेक्टर राघवेंद्र सिंह और एसडीएम भावना विलम्बे से हुई।उन्होंने मेरी टाइपिंग स्पीड देखी और काफी खुश हुए।दोनों ने मिलकर मुझे कलेक्ट्रेट ऑफिस में आवेदन टाइप करने का काम दिलवा दिया. तब से मैं इसी ऑफिस में काम करती हूं।
हाल ही में पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ‘टाइपिस्ट अम्मा’ के नाम से मशहूर लक्ष्मीबाई का वीडियो पोस्ट किया।उन्होंने लिखा, ये महिला मेरे लिए सुपरवुमन हैं. ये सीहोर, मध्यप्रदेश में रहती हैं।आज की जनरेशन इनसे बहुत कुछ सीख सकती है।सिर्फ इनकी टाइपिंग स्पीड ही नहीं, बल्कि जिंदगी जीने का जज्बा भी इंस्पायरिंग है। इनसे सीखा जा सकता है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है।बस काम के प्रति मन मे जज़्बा होना चाहिये,इन्हें मेरा प्रणाम।
A superwoman for me. She lives in Sehore in MP and the youth have so much to learn from her. Not just speed, but the spirit and a lesson that no work is small and no age is big enough to learn and work. Pranam ! pic.twitter.com/n63IcpBRSH
— Virender Sehwag (@virendersehwag) June 12, 2018