2019 में दोबारा PM नहीं बने नरेंद्र मोदी तो भारत को होंगे ये 5 बड़े नुकसान, जानिए क्यों?

By SHUBHAM SHARMA

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दुनिया के बड़े ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए (CLSA) के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट क्रिस्टोफर वुड का मानना है कि मोदी के दोबारा पीएम नहीं बनने से भारत को 5 बड़े नुकसान होंगे.

मोदी के दोबारा पीएम नहीं बनने से भारत को 5 बड़े नुकसान होंगे.

नई दिल्ली: 2014 में बीजेपी की ओर से पीएम चुनकर आए नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शामिल हैं. टाइम्स ने उन्हें मोस्ट पावरफुल नेताओं की सूची में भी शामिल किया था. लेकिन, अब उनके दोबारा पीएम बनने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. वह 2019 में होने वाले आम चुनाव में दोबारा पीएम चुने जाएंगे या नहीं, ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा. लेकिन, उनके पीएम न बनने से देश को क्या नुकसान होंगे इसका अंदाजा लग गया है. दुनिया के बड़े ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए (CLSA) के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट क्रिस्टोफर वुड का मानना है कि मोदी के दोबारा पीएम नहीं बनने से भारत को 5 बड़े नुकसान होंगे. आइये जानते हैं क्या हैं वो 5 बड़े नुकसान…



ग्रोथ को लगेगा झटका
साल 2019 में देश में आम चुनाव होने हैं. 2014 की तर्ज पर ही बीजेपी के प्रमुख चेहरा नरेंद्र मोदी होंगे. लेकिन, क्या वो फिर से पीएम बनेंगे? ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट क्रिस्टोफर वुड का कहना है कि नरेंद्र मोदी अगर फिर से चुनकर नहीं आते हैं तो भारत की ग्रोथ को बड़ा धक्का झटका लगेगा. क्रिस्टोफर वुड ने अपने विकली नोट ग्रीड एंड फीयर में कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से पांच साल के लिए प्रधानमंत्री नहीं बनते हैं तो भारत की ग्रोथ स्टोरी को बड़ा झटका लगेगा.

लुढ़केगा शेयर बाजार, गिरेगा रुपया
नरेंद्र मोदी के पीएम नहीं चुने जाने पर शेयर बाजार में भारी गिरावट आ सकती है. साथ रुपए में कमजोरी आने की भी आशंका है. शेयर बाजार और म्युचूअल फंड्स के निवेश पर भी कम रिटर्न मिलेंगे. साथ ही, रुपए में कमजोरी से महंगाई बढ़ने की आशंका है.

क्यों बढ़ेगी महंगाई
रुपए में कमजोरी आने से विदेशों से क्रूड खरीदना महंगा होगा. लिहाजा पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि होगी. ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ने से पहले खाने-पीने से लेकर बाकी चीजों की महंगाई में इजाफा होगा. लिहाजा, देश में महंगाई बढ़ने के साफ संकेत मिलते हैं.

इन्वेस्टमेंट साइकिल होगी शुरू
क्रिस्टोफर वुड ने अपने नोट में लिखा है कि भारत में इन्वेस्टमेंट साइकल फिर से शुरू हो रहा है. इससे बैंकिंग सिस्टम के एनपीए को सुधारने में मदद मिलेगी. हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन प्रयासों के अच्छे नतीजे कब तक सामने आएंगे और सरकार अपने स्तर पर इकोनॉमी को बेहतर बनाने से जुड़े फैसलों को कितनी ताकत और सक्रियता से लागू करती है.

पीएम बने मोदी तो दौड़ेगा शेयर बाजार
क्रिस्टोफर के मुताबिक, अगर मोदी प्रधानमंत्री बने रहते हैं तो लंबी अवधि में भारतीय शेयर बाजार सबसे ज्यादा मुनाफा दिलाने वाले रहेंगे. हालांकि, इस साल की पहली छमाही में बहुत अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं है. वुड का मानना है कि भारतीय बाजारों की चाल करेंसी और कच्चे तेल की कीमतों पर भी निर्भर करेगी.

मॉर्गन स्टेनली ने जताई आशंका
हाल में जारी अमेरिकी फर्म मॉर्गन स्‍टेनली की रिपोर्ट में भी भारत में कमजोर सरकार बनने की आशंका जताई है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल होने वाले आम चुनाव में कोई पार्टी अपने बूते सरकार नहीं बना पाएगी. ऐसे में भाजपा भी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाएगी. कंपनी के मुताबिक, गठबंधन की कमजोर सरकार निवेशकों के लिए सबसे बड़ी चिंता है.

कमजोर सरकार बनने की संभावना
मॉर्गन स्‍टैनली का कहना है कि बाजार का रुख आगामी आम चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तरह आशावादी नहीं रहेगा. कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र चुनाव से महज 12 महीने दूर है. ऐसे में आने वाले कुछ महीनों में बाजार में चुनाव परिणाम को लेकर कयासबाजी शुरू होने की संभावना है. बाजार हमेशा मौजूदा से ज्‍यादा मजबूत सरकार की उम्‍मीद के साथ चुनाव में जाता है. लेकिन, वर्ष 2019 के चुनावों में यह लागू नहीं होगा, क्‍योंकि अगले साल वर्तमान से कमजोर सरकार बनने की संभावना है.

मॉर्गन स्टेनली की चेतावनी
अमेरिकी फर्म ने चेतावनी दी है कि वर्ष 2019 में बाजार का माहौल साल 2014 के आम चुनावों से पहले जैसा नहीं रहेगा. मॉर्गन स्‍टैनली ने पिछले पांच आम चुनावों के आधार पर यह निष्‍कर्ष निकाला है. कंपनी का कहना है कि 90 के दशक के मध्‍य से कोई भी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव में नहीं गई है.

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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