एक औरत के लिए मां बनना उसकी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत पल होता है. लेकिन ज़रा सोचिये उस वक़्त उस औरत के दिल पर क्या बीतती होगी जब उससे बोला जाता है कि बच्चा गिरा दो, गर्भपात करा लो, ये बच्चा अभी नहीं चाहिए, ऐसे में उसके दर्द का अंदाजा लगाना नामुमकिन है. मगर हमारे देश में गर्भपात को एक बहुत ही आसान शब्द जानकर बोल दिया जाता है. ख़ास तौर पर उस वक़्त महिला का गर्भपात कराने की बात बोली जाती है, जबकि उसके गर्भ में कन्या भ्रूण हो. कई बार लोगों को बच्चा नहीं चाहिए होता है, तो गर्भपात करा देते हैं. मगर क्या आपको पता है कि आसान सी लगने वाली गर्भपात की ये प्रक्रिया कितनी दर्दनाक और भयानक होती है. शायद नहीं सोचा होगा. गर्भपात को लेकर तो लोगों को कई बार चर्चा करते सुना होगा, लेकिन उस बच्चे के बारे में कोई बात नहीं करता कि आखिर उन अजन्मे बच्चों का क्या होता है…आज हम आपको गर्भपात के दौरान होने वाली भयानक प्रक्रिया से रू-ब-रू कराएंगे. ये भी बताएंगे कि कैसे किया जाता है गर्भपात? पिछले साल Felicia Cash नाम की एक महिला ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि गर्भपात के दौरान उन बच्चों के साथ क्या होता है?
Felicia Cash ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘जुलाई 2014 में मेरा मिसकैरेज हो गया था, जिसके कारण मेरा 14 हफ़्तों और 6 दिन का प्यारा बेटा Japeth Peace मर गया था. उस वक़्त वो आश्चर्यजनक रूप से काफ़ी विकसित हो चुका था, उसके पैरों की उंगलियां और अंगूठा भी बन चुका था. यहां तक कि उसके नाख़ून भी निकलने शुरू हो गए थे और दिखने लगे थे. उसकी छोटी-छोटी और महीन नसों को उसकी पतली स्किन के ज़रिये देखा जा सकता था, जो उसके नाज़ुक शरीर में रक़्त प्रवाहित कर रही थीं. यहां तक कि उसकी मांसपेशियां भी दिखाई दे रही थीं. उसके लिए मैं ये कहती हूं कि गर्भावस्था की आधी अवधि में वो कोशिकाओं का एक समूह या केवल एक मांस का टुकड़ा मात्र नहीं था, बल्कि उसकी बॉडी ह्यूमन जैसी दिखने लगी थी. वो एक सुन्दर और स्वस्थ बच्चा था जिसकी रचना भगवान ने की थी और अब वो उन्हीं के साथ रहेगा.इसके साथ ही Felicia ये लिखा, ‘मैं ये पोस्ट उन लोगों को सही जानकारी देने के लिए लिख रही हूं, जिनको ये नहीं पता होता कि 3 महीने की गर्भावस्था में भी भ्रूण पूरी तरह से विकसित हो जाता है. और इसलिए 3 महीने में गर्भपात को हल्के में नहीं लेना चाहिए. दरअसल, मैं ये बताना चाहती हूं कि साढ़े तीन महीने की अवधि में भी बच्चा कोई मांस का टुकड़ा या निर्जीव वस्तु नहीं होता. इतने कम समय में भी बच्चा विकसित हो जाता है.
गर्भधारण के 16 दिनों बाद ही उसका छोटा सा दिल धड़कने लगता है, और अपने खून को पंप करने लगता है. मतलब कि बच्चे का दिल महिला के गर्भवती होने की जानकारी होने से पहले ही अपना काम शुरू कर देता है. जबकि लोगों में एक गलत धारणा है कि जब तक वो बच्चे की धड़कन सुन नहीं सकते हैं या नहीं देख सकते हैं, उसका दिल विकसित नहीं हुआ है ऐसा नहीं होता है. जबकि सबसे पहले दिल ही बनता है और अपना काम शुरू करता है. गर्भधारण के 6 हफ़्तों के बाद बच्चे के श्रवण अंगों यानि कि कान बनने लगते हैं और उनका तंत्रिका तंत्र 7वें हफ्ते में काम करना शुरू कर देता है.इसके साथ ही उन्होंने लिखा, ‘ये सारी जानकारी आपको इंटरनेट पर और मेडिकल जर्नल्स या फिर प्रेग्नेंसी गाइड्स में आसानी से मिल जायेगी. हालांकि, कुछ कारणों से लोगों को लगता है कि यह सब गर्भावस्था में बहुत बाद में होता है. हो सकता है ऐसा इसलिए हो कि वो उन लोगों द्वारा बेवकूफ़ बनाये जा रहे हों, जो उनका शोषण करना चाहते हैं. या ऐसा भी हो सकता है कि वो सब कुछ जानकर भी अपनी आंखों पर पट्टी और कानों में रुई डाल लेते हैं, क्योंकि ये सच बहुत ही कड़वा है और ये सच्चाई उनके कुछ अहम निर्णयों में बाधा ना बन जाए इसलिए वो सब कुछ जानते हुए भी अपनी इच्छा से गर्भपात कराते हैं.’
एक औरत के लिए मां बनना उसकी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत पल होता है. लेकिन ज़रा सोचिये उस वक़्त उस औरत के दिल पर क्या बीतती होगी जब उससे बोला जाता है कि बच्चा गिरा दो, गर्भपात करा लो, ये बच्चा अभी नहीं चाहिए, ऐसे में उसके दर्द का अंदाजा लगाना नामुमकिन है. मगर हमारे देश में गर्भपात को एक बहुत ही आसान शब्द जानकर बोल दिया जाता है. ख़ास तौर पर उस वक़्त महिला का गर्भपात कराने की बात बोली जाती है, जबकि उसके गर्भ में कन्या भ्रूण हो. कई बार लोगों को बच्चा नहीं चाहिए होता है, तो गर्भपात करा देते हैं. मगर क्या आपको पता है कि आसान सी लगने वाली गर्भपात की ये प्रक्रिया कितनी दर्दनाक और भयानक होती है. शायद नहीं सोचा होगा. गर्भपात को लेकर तो लोगों को कई बार चर्चा करते सुना होगा, लेकिन उस बच्चे के बारे में कोई बात नहीं करता कि आखिर उन अजन्मे बच्चों का क्या होता है…
आज हम आपको गर्भपात के दौरान होने वाली भयानक प्रक्रिया से रू-ब-रू कराएंगे. ये भी बताएंगे कि कैसे किया जाता है गर्भपात?
पिछले साल Felicia Cash नाम की एक महिला ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि गर्भपात के दौरान उन बच्चों के साथ क्या होता है?
FelicaCash ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘जुलाई 2014 में मेरा मिसकैरेज हो गया था, जिसके कारण मेरा 14 हफ़्तों और 6 दिन का प्यारा बेटा Japeth Peace मर गया था. उस वक़्त वो आश्चर्यजनक रूप से काफ़ी विकसित हो चुका था, उसके पैरों की उंगलियां और अंगूठा भी बन चुका था. यहां तक कि उसके नाख़ून भी निकलने शुरू हो गए थे और दिखने लगे थे. उसकी छोटी-छोटी और महीन नसों को उसकी पतली स्किन के ज़रिये देखा जा सकता था, जो उसके नाज़ुक शरीर में रक़्त प्रवाहित कर रही थीं. यहां तक कि उसकी मांसपेशियां भी दिखाई दे रही थीं. उसके लिए मैं ये कहती हूं कि गर्भावस्था की आधी अवधि में वो कोशिकाओं का एक समूह या केवल एक मांस का टुकड़ा मात्र नहीं था, बल्कि उसकी बॉडी ह्यूमन जैसी दिखने लगी थी. वो एक सुन्दर और स्वस्थ बच्चा था जिसकी रचना भगवान ने की थी और अब वो उन्हीं के साथ रहेगा. इसके साथ ही Felicia ये लिखा, ‘मैं ये पोस्ट उन लोगों को सही जानकारी देने के लिए लिख रही हूं, जिनको ये नहीं पता होता कि 3 महीने की गर्भावस्था में भी भ्रूण पूरी तरह से विकसित हो जाता है. और इसलिए 3 महीने में गर्भपात को हल्के में नहीं लेना चाहिए. दरअसल, मैं ये बताना चाहती हूं कि साढ़े तीन महीने की अवधि में भी बच्चा कोई मांस का टुकड़ा या निर्जीव वस्तु नहीं होता. इतने कम समय में भी बच्चा विकसित हो जाता है.
गर्भधारण के 16 दिनों बाद ही उसका छोटा सा दिल धड़कने लगता है, और अपने खून को पंप करने लगता है. मतलब कि बच्चे का दिल महिला के गर्भवती होने की जानकारी होने से पहले ही अपना काम शुरू कर देता है. जबकि लोगों में एक गलत धारणा है कि जब तक वो बच्चे की धड़कन सुन नहीं सकते हैं या नहीं देख सकते हैं, उसका दिल विकसित नहीं हुआ है ऐसा नहीं होता है. जबकि सबसे पहले दिल ही बनता है और अपना काम शुरू करता है. गर्भधारण के 6 हफ़्तों के बाद बच्चे के श्रवण अंगों यानि कि कान बनने लगते हैं और उनका तंत्रिका तंत्र 7वें हफ्ते में काम करना शुरू कर देता है.
इसके साथ ही उन्होंने लिखा, ‘ये सारी जानकारी आपको इंटरनेट पर और मेडिकल जर्नल्स या फिर प्रेग्नेंसी गाइड्स में आसानी से मिल जायेगी. हालांकि, कुछ कारणों से लोगों को लगता है कि यह सब गर्भावस्था में बहुत बाद में होता है. हो सकता है ऐसा इसलिए हो कि वो उन लोगों द्वारा बेवकूफ़ बनाये जा रहे हों, जो उनका शोषण करना चाहते हैं. या ऐसा भी हो सकता है कि वो सब कुछ जानकर भी अपनी आंखों पर पट्टी और कानों में रुई डाल लेते हैं, क्योंकि ये सच बहुत ही कड़वा है और ये सच्चाई उनके कुछ अहम निर्णयों में बाधा ना बन जाए इसलिए वो सब कुछ जानते हुए भी अपनी इच्छा से गर्भपात कराते हैं.’
मैं आशा करती हूं कि ये जानकारी और मेरे प्यारे बेटे की दिल-दहला देने वाली ये फ़ोटोज़ गर्भावस्था, गर्भस्थ शिशु और गर्भपात से जुड़ी जानकारी को समझने में थोड़ी और ज़्यादा मदद करेंगी. सच में बच्चे की इन मार्मिक तस्वीरों को देखकर ये लगता है कि अबॉर्ट हुए बच्चों को कितनी तकलीफ होती होगी
अंत में मैं बस ये कहना चाहती हूं कि अगर आप गर्भपात कराने का विचार कर रहे हैं, तो एक बार इस सच्चाई को जानने के बाद पुनः विचार करें कि क्या ये सही है. ये किसी भी तरह से शर्मनाक, कमज़ोर, या किसी की निंदा करने का प्रयास नहीं है. ये उस मां की आपसे अपील है, जिसने मिसकैरेज के कारण अपना प्यारा बच्चा खो दिया कि जो भी कदम उठायें सोच-समझ कर उठायें. गर्भपात के अलावा भी कई विकल्प मौजूद हैं.
Felicia Cash की ये पोस्ट उनके दिलों तक ज़रूर पहुंचेगी जिनका किन्हीं कारणों से मिसकैरेज हो गया और उन्होंने अपना बच्चा खो दिया हो.
मगर मैं एक सवाल उनसे करना चाहती हूं जो अपनी मर्जी से गर्भपात करवाते हैं क्या उनको इस बात का एहसास नहीं होता कि वो दुनिया में आने से पहले ही गर्भ के अंदर बच्चे को मार देते हैं. क्या आपको पता है कि गर्भपात के दौरान बच्चे को कितनी तकलीफ़ होती है? शायद नहीं, तभी तो अजन्में बच्चे के साथ इतनी क्रूरता करने की हिम्मत कर पाते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब हॉस्पिटल में किसी महिला का अबॉर्शन किया जाता है तो उसे सैलाइन अबॉर्शन (Saline Abortion) कहा जाता है. ये प्रक्रिया बेहद दर्दनाक होती है. इसमें इंजेक्शन की मदद से महिला के गर्भ में एक ऐसा लिक्वीड डाला जाता है, जिसके असर से बच्चा मर जाता है. इस लिक्वीड का असर इतना खतरनाक होता है कि बच्चे के फ़ेंफड़े और स्किन पूरी तरह जल जाती है और वो मर जाता है. उसके बाद महिला का प्रसव कराया जाता है, जिसके बाद मरा हुआ बच्चा कोख से बाहर आता है. मगर ज़रा सोचिये अगर इसके बाद भी बच्चा ज़िंदा बच जाए (कई केसेज़ में ऐसा हो जाता है) तो उस जले और अविकसित बच्चे का न हीं कोई इलाज किया जाता है और न ही कोई देख भाल, बल्कि उसको मरने के लिए छोड़ दिया जाता है.
आज भी हमारे देश में गर्भ में लड़की होने की बात पता चलते ही गर्भवती महिला का जबरन घरों में ही अबॉर्शन करा दिया जाता है, जिसके कारण कई बार महिला की भी मौत हो जाती है. वहीं कई बार बलात्कार के परिणाम स्वरूप गर्भवती महिला का डॉक्टर्स की मदद से अबॉर्शन कराया जाता है. क्योंकि हमारा समाज उसको अपनाता नहीं है. क्योंकि हम आज भी दकियानूसी नियमों और क़ानूनों को मानते हैं ना…
यहां मैं एक बात यही कहना चाहूंगी कि अगर आपको बच्चा नहीं चाहिए तो प्रोटेक्शन का इस्तेमाल क्यों नहीं करते? अगर फिर भी गर्भधारण हो जाता है, तो भी क्या उसे मारना सही है, क्या उसके लिए दूसरे विकल्प नहीं है, उस बच्चे को आप उन लोगों को दे सकते हैं, जो बेऔलाद हैं, जो बच्चे के लिए तरस रहे हैं. क्योंकि आप परेशानी नहीं उठाना चाहते हैं और आपको वो अपनी आंखों के सामने दिख नहीं रहा है, तो आप उसको मार देते हैं. अगर मारना ही है तो उसको आने ही क्यों देते हो? प्रोटेक्शन खरीदने में शर्म आती है, लेकिन नन्हीं सी जान को मारने में शर्म नहीं आती…
ये बहुत बड़ा सवाल है सोचियेगा ज़रूर इसके बारे में. अगर आप सोचेंगे तो आपको उस जान का दर्द समझ आएगा जो दुनिया में आना चाहता है, पर आ नहीं पाता है.