बरघाट (मध्यप्रदेश)। बरघाट जनपद की ग्राम पंचायत शैला में 14 लाख रुपए की लागत से बनी पुलिया पहली ही बारिश में खेतों के पानी के बहाव में बह गई। यह घटना पंचायतों में भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण की पोल खोलने वाली है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिया के निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया और इसमें अधिकारियों और पंचायत पदाधिकारियों की मिलीभगत साफ दिखाई देती है।
💰 लाखों की लागत, लेकिन टिक न सकी एक साल
ग्राम पंचायत शैला में यह पुलिया महज एक वर्ष भी पूरा नहीं कर पाई और बारिश के कुछ दिनों में ही बह गई। इस घटना ने ग्रामीणों के बीच गुस्सा बढ़ा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ पुल का बहना नहीं बल्कि सरकारी धन की लूट का नतीजा है।
🚜 आनन-फानन में “मुरम” डालकर दबाने की कोशिश
पुलिया बह जाने के बाद सरपंच और सचिव ने मामले को दबाने की कोशिश की। ग्रामीणों के अनुसार, कुछ जागरूक पंचों ने जब आवाज उठाई तो तत्काल ट्रैक्टरों से मुरम भरवाकर पुलिया को अस्थायी रूप से पाटने का काम शुरू कर दिया गया। यह साफ दर्शाता है कि जिम्मेदार लोग भ्रष्टाचार को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
⚠️ आवागमन ठप, किसान परेशान
पुलिया बह जाने से किसानों का खेतों तक आना-जाना बंद हो गया है। तीन-चार दिन बीत जाने के बावजूद पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इससे स्पष्ट है कि जनहित की बजाय निजी स्वार्थ और कमीशनखोरी को प्राथमिकता दी जा रही है।
📌 अधिकारियों की मिलीभगत उजागर
यह मामला दर्शाता है कि पंचायत स्तर पर हो रहे निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हो रहा है। लाखों रुपये खर्च कर भी जनता को सुविधाएं नहीं मिल रहीं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पंचायत के जिम्मेदार और ठेकेदार आपसी सांठगांठ से गुणवत्ता हीन निर्माण कर रहे हैं और आला अधिकारी भी इस पर आंखें मूंदे बैठे हैं।
❓ बड़ा सवाल – क्या होगी कार्रवाई?
अब ग्रामीणों की नजर जिला प्रशासन और कलेक्टर पर है कि क्या वे इस मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे या फिर यह भी मामला मुरम के नीचे दबा दिया जाएगा।