मध्य प्रदेश के जिला बालाघाट में माओवादियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियानों में एक बड़ी कामयाबी प्राप्त हुई है। अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) लखनादौन श्री अपूर्व भलावी के नेतृत्व में खटिया मोर्चा दलम के सक्रिय माओवादी संदीप कुंजम, जिस पर ₹14 लाख का इनाम घोषित था, को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी माओवाद विरोधी अभियान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है।
खुफिया तंत्र और टीम समन्वय का बेहतरीन उदाहरण
एसडीओपी अपूर्व भलावी ने यह सफलता केवल एक अधिकारी के रूप में नहीं, बल्कि रणनीतिक नेतृत्व और खुफिया तंत्र के उत्तम समन्वय द्वारा प्राप्त की। यह ऑपरेशन महीनों की गहन तैयारी, सूचनाओं के आदान-प्रदान और ज़मीनी स्तर पर मजबूत नेटवर्किंग का परिणाम था। माओवादी संदीप कुंजम, जो खटिया मोर्चा दलम का एक महत्वपूर्ण और सक्रिय सदस्य था, लंबे समय से पुलिस के रडार पर था लेकिन उसकी गिरफ्तारी अब तक असंभव मानी जा रही थी।
माओवाद के विरुद्ध पुलिस की नीतिगत प्रतिबद्धता
यह ऑपरेशन न केवल पुलिस की प्रशासनिक दक्षता को दर्शाता है, बल्कि मध्य प्रदेश शासन की माओवाद के प्रति कठोर नीति और प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है। बालाघाट क्षेत्र, जो लंबे समय से माओवादी गतिविधियों के लिए संवेदनशील रहा है, वहां पर अपूर्व भलावी के नेतृत्व में प्राप्त यह सफलता आने वाले अभियानों के लिए एक प्रेरणा है।
के.एफ. रुस्तम जी पुरस्कार से सम्मानित
मध्य प्रदेश शासन द्वारा एसडीओपी श्री अपूर्व भलावी को उनके इस साहसिक कार्य के लिए के.एफ. रुस्तम जी पुरस्कार प्रदान किया गया। इस पुरस्कार के अंतर्गत उन्हें एक रिवाल्वर एवं प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया। यह पुरस्कार उन पुलिस अधिकारियों को दिया जाता है जिन्होंने माओवाद या अन्य उग्रवादी चुनौतियों के विरुद्ध बहादुरीपूर्वक कार्य किया हो।
पुलिस अधीक्षक सिवनी एवं पुलिस परिवार की शुभकामनाएं
इस सराहनीय उपलब्धि पर पुलिस अधीक्षक सिवनी सुनील मेहता ने एसडीओपी अपूर्व भलावी को हार्दिक बधाई दी है। साथ ही पुलिस परिवार सिवनी ने भी उन्हें इस सफलता पर शुभकामनाएं एवं सम्मान प्रेषित किया है। यह सम्मान केवल एक अधिकारी के लिए नहीं, बल्कि पूरी पुलिस टीम और उनके पीछे कार्य कर रहे बुद्धिमान खुफिया विभाग के लिए है।
संदीप कुंजम: एक लंबे समय से वांछित माओवादी
संदीप कुंजम, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर सक्रिय माओवादी गतिविधियों में सम्मिलित रहा है। उस पर कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें हत्या, लूट, पुलिस पर हमला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है। ऐसे खतरनाक माओवादी की गिरफ्तारी माओवादी नेटवर्क को कमजोर करने की दिशा में बड़ा कदम है।
जनसहयोग और सामुदायिक भागीदारी की अहम भूमिका
इस ऑपरेशन में स्थानीय नागरिकों का सहयोग भी सराहनीय रहा। नागरिकों द्वारा दी गई सूचनाएं और पुलिस पर विश्वास ने इस कार्य को और अधिक प्रभावशाली बनाया। यह साबित करता है कि जब पुलिस और जनता साथ मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।
भविष्य की रणनीतियों पर भी प्रभाव
यह सफलता अब आने वाले अभियानों की रणनीति निर्माण में मार्गदर्शक सिद्ध होगी। इससे अन्य एसडीओपी एवं पुलिस अधिकारियों को माओवाद विरोधी अभियानों में साहस के साथ कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। साथ ही राज्य सरकार को भी ऐसे सफल अभियानों को अधिक सशक्त करने के लिए आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
निष्कर्ष: साहस और कर्तव्य का प्रतीक
एसडीओपी अपूर्व भलावी ने जिस तरह से साहस, संयम और रणनीति के साथ इस अभियान को सफलता तक पहुँचाया, वह वास्तव में भारतीय पुलिस सेवा के लिए गौरव का विषय है। यह कहानी बताती है कि जब निष्ठा, समर्पण और सेवा भाव का संगम होता है, तो असंभव भी संभव बन जाता है।