नितिन शुक्ला की सिवनी कांग्रेस से तकरार: जीतू पटवारी पर तीखी टिप्पणी, 6 वर्ष का निष्कासन, दिल्ली के जैक से 2 माह में अध्यक्ष पद पर वापसी!

Nitin Shukla's befitting reply to Seoni Congress leaders: Shukla's sharp comment on Jeetu Patwari, return to the post of president in 2 months after 6 years of expulsion

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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सिवनी। कांग्रेस पार्टी की आंतरिक राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के सिवनी जिलाध्यक्ष नितिन शुक्ला को पार्टी ने वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी पर अनर्गल टिप्पणी करने के आरोप में 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया था। लेकिन यह निष्कासन मात्र 2 माह में ही पलट दिया गया और नितिन शुक्ला ने फिर से अध्यक्ष पद पर वापसी कर ली।

असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के सिवनी जिला अध्यक्ष नितिन शुक्ला जिनका 6 साल का निष्कासन केवल 2 महीने में पलट दिया गया था। यह घटनाक्रम कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी राजनीति, गुटबाजी और नेतृत्व की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है।

जीतू पटवारी पर हमलावर रहे नितिन शुक्ला

नितिन शुक्ला, जो कि असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के सिवनी जिले के अध्यक्ष पद पर कार्यरत थे, उन्हें पार्टी से निष्कासित करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी पर सोशल मीडिया पर लगातार तीखी टिप्पणियां की थीं।

यह आरोप काफी गंभीर था और इसे पार्टी विरोधी गतिविधि के रूप में देखा गया। इसके परिणामस्वरूप मप्र कांग्रेस कमेटी ने 6 वर्षों के लिए निष्कासन का आदेश जारी कर दिया। यह निर्णय जिले की राजनीति में एक भूचाल की तरह आया।

दिल्ली से ‘जैक’ लगाकर की धमाकेदार वापसी!

लेकिन इससे भी बड़ा झटका तब लगा जब निष्कासन के सिर्फ 2 माह बाद, नितिन शुक्ला ने फिर से अपने पुराने पद पर वापसी कर ली। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने दिल्ली में उच्च स्तरीय नेताओं से मुलाकात कर संगठन पर दबाव बनाया और अपने लिए वापसी का रास्ता साफ किया

उनकी यह वापसी न केवल तेज़ थी, बल्कि उसने जिले में सक्रिय नेताओं प्रसन्न मालू और राजकुमार खुराना की रणनीतियों को भी ध्वस्त कर दिया। यह घटना कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच गहरी असंतोष की लहर लेकर आई है। 2 माह में ही निष्कासन के बाद वापसी को जिले के कई कांग्रेस कार्यकर्ता नेतृत्व के मुंह पर करारा तमाचा मान रहे हैं।

क्या पार्टी की कार्रवाई केवल औपचारिकता बनकर रह गई है?

यह सवाल अब तेजी से उठ रहे हैं कि अगर पार्टी ने इतनी बड़ी सजा दी थी, तो उसे इतने कम समय में क्यों पलटा गया?

  • क्या पार्टी के निर्णय अब केवल प्रदर्शन भर रह गए हैं?
  • क्या कोई भी नेता, ऊपरी संपर्कों के बल पर कानूनी और संगठनात्मक अनुशासन को ताक पर रख सकता है?
  • क्या पार्टी अब स्थानीय कार्यकर्ताओं की भावनाओं को दरकिनार कर रही है?

29 और 30 मई को जीतू पटवारी का सिवनी दौरा, उठेंगी बड़ी राजनीतिक लहरें

सिवनी में अब सभी की निगाहें 29 और 30 मई पर टिकी हैं, जब जीतू पटवारी जिले का दौरा करेंगे। माना जा रहा है कि वे यहां कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे। ऐसे में ये देखना बेहद अहम होगा कि:

  • क्या वे नितिन शुक्ला की वापसी पर कोई खुला बयान देंगे?
  • या कांग्रेस पार्टी एक बार फिर चुप्पी साधे रहेगी?
  • क्या यह दौर गुटबाजी की नई शुरुआत करेगा?

कांग्रेस की स्थानीय राजनीति में अब उबाल

सिवनी कांग्रेस अब दो स्पष्ट गुटों में बंटी दिख रही है। एक तरफ हैं वे नेता जो मानते हैं कि नितिन शुक्ला की वापसी ने संगठन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है, वहीं दूसरी तरफ उनके समर्थकों का कहना है कि शुक्ला की वापसी से यह साबित होता है कि वे पार्टी के लिए अब भी अहम चेहरा हैं।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस फैसले पर मौन नाराजगी भी जताई है, लेकिन दिल्ली से आए आदेश के आगे किसी की हिम्मत नहीं हो रही कि वो खुलकर विरोध करे।

क्या कांग्रेस नेतृत्व खुद के फैसलों पर कायम नहीं रह पा रहा?

यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी के निर्णय अब टिकाऊ नहीं रहे। स्थानीय नेतृत्व का कोई फैसला दिल्ली की राजनीति में चंद फोन कॉल्स और राजनीतिक जोड़तोड़ से उलट दिया जाता है।

इससे कार्यकर्ताओं के मन में यह संदेश जा रहा है कि:

  • पार्टी में निष्ठा और अनुशासन से ज़्यादा जुड़ाव और संपर्क मायने रखते हैं।
  • किसी भी नेता का राजनीतिक प्रभाव, संगठनात्मक नियमों पर भारी पड़ सकता है।
  • पार्टी में अब आंतरिक अनुशासन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं

नितिन शुक्ला की वापसी – जीत या संगठन की हार?

नितिन शुक्ला की वापसी को उनके समर्थक एक बड़ी राजनीतिक जीत मानते हैं, लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि यह पूरी घटना कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी, रणनीतिक असफलता और नेतृत्व की कमजोरी को उजागर करती है।

एक निष्कासित नेता की इतनी जल्दी वापसी से अन्य नेताओं के लिए भी यह संदेश जा रहा है कि वे भी चाहे कुछ भी कर लें, अगर दिल्ली में पकड़ मजबूत हो तो सब माफ है।

नितिन शुक्ला की दोबारा वापसी न सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी, अस्थिर निर्णय प्रक्रिया और नेतृत्व की कमजोरी को भी उजागर करती है। अब सबकी निगाहें 30 मई पर टिकी हैं — जब जीतू पटवारी सिवनी पहुंचेंगे। क्या वे कोई बड़ा बयान देंगे? या पार्टी फिर चुप्पी साधे बैठेगी?

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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