लोकसभा में आज एक महत्वपूर्ण घटना देखने को मिली, जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपातकाल के विरोध में अपना स्टैंड स्पष्ट किया। उन्होंने संसदीय नियमों के माध्यम से आपातकाल के दौरान के घटनाक्रमों की महत्वपूर्ण निंदा की, जो देश के लोकतंत्र के खिलाफ थे।
आपातकाल और इसके प्रभाव
आपातकाल ने 1975 में भारतीय राजनीति को एक नया रुख दिया था। इस दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने देशवासियों के अधिकारों को दबाने की कोशिश की थी, जिसे समाज ने बेहद विरोधी माना था। बिरला ने उन घटनाओं की कड़ी निंदा की और इसे एक ऐतिहासिक घटना के रूप में संदर्भित किया।
लोकसभा अध्यक्ष का स्टैंड
ओम बिरला ने अपने बयान में व्यक्त किया कि आपातकाल के दौरान देश में लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर हमला किया गया था। उन्होंने कहा, “इस अंधेरे काले दौरान लोकतंत्र की महिमा पर धारा बंटी गई थी, जिससे हमें सबक सीखने की आवश्यकता है।”
प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ओम बिरला के विचारों की प्रशंसा की और उनके व्यापक दृष्टिकोण को सराहा। उन्होंने बिरला के विरोधी आपातकाल बयान को अपनी सरकार की नीतियों के साथ उल्लेखित किया और स्पष्ट किया कि लोकतंत्र के खिलाफ किसी भी प्रकार की नीतियां स्वीकार्य नहीं हैं।