येरेवान। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच रविवार को विवादित क्षेत्र नागोर्नो कारबाख में लड़ाई भड़क गई है। इसमें कम-से-कम 16 सैनिकों और कई अन्य लोगों के मारे जाने की खबर है। संघर्ष में सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। दोनों ओर से हवाई और टैंक से हमले किए गए। 2016 के बाद से दोनों देशों के बीच यह सबसे भीषण लड़ाई है। दोनों ओर से हवाई और टैंक से हमले किए गए।
आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अजरबैजान के न टैंकों और दो हेलीकॉप्टरों को मार गिराया गया है। हालांकि अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने इस दावे को खारिज किया है। पूर्व सोवियत संघ के इन दोनों देशों के बीच नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद है।
अजरबैजान इस क्षेत्र को अपना मानता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे इसी देश का हिस्सा माना जाता है। हालांकि 1994 की लड़ाई के बाद यह क्षेत्र अजरबैजान के नियंत्रण में नहीं है। इस क्षेत्र में दोनों पक्षों के सैनिकों की भारी मौजूदगी है। करीब 4,400 किलोमीटर में फैला नागोर्नो-कारबाख का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी है।
गत जुलाई में भी दोनों पक्षों में झड़प हुई थी जिसमें 16 लोगों की मौत हुई थी। उस समय भारत ने सीमा पर गोलीबारी की खबरों पर चिंता व्यक्त करते हुए दोनों पक्षों से संयम और शांति बनाए रखने की अपील की थी। कई बार आर्मेनिया अजरबैजान सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी और इससे दोनों पक्षों को नुकसान होने की खबरें आती रही हैं। भारत आपसी बातचीत से मतभेदों को सुलझाने की अपील करता रहा है
उधर सीरिया ने पड़ोसी तुर्की को आतंकवाद का मुख्य प्रायोजक देश बताया है। सीरियाई विदेश मंत्री वालिद अल-मोआलेम ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि तुर्की क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। उसने कब्जे का विरोध करने वाले एक दर्जन से अधिक शहरों में पानी आपूर्ति बंद कर मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं। मौजूदा वक्त में उत्तरी सीरिया के एक बड़े क्षेत्र पर तुर्की का नियंत्रण है। यही नहीं तुर्की सीरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ विपक्षी लड़ाकों का समर्थन भी कर रहा है।