रामनगर की रामलीला: विश्वप्रसिद्ध रामलीला की शुरूआत होगी 09 सितम्बर से, तैयारियां अन्तिम दौर में

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Ramnagar Ki Ramleela: विश्वप्रसिद्ध रामलीला की शुरूआत होगी 09 सितम्बर से, तैयारियां अन्तिम दौर में

वाराणसी। विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे दो साल के इंतजार के बाद 09 सितम्बर अनंत चतुर्दशी से शुरू हो रही है। रामलीला की शुरुआत रावण के जन्म से होगी।

पहले दिन जन्म के साथ ही रावण यज्ञ कराने में जुट जाएगा। इस दौरान क्षीर सागर की झांकी, देव स्तुति और आकाशवाणी की लीला का भी मंचन होगा । रामलीला को लेकर जबरदस्त उत्साह है। 200 साल से भी पुरानी रामलीला अपने अनूठेपन और परम्परा को लेकर लोगों में आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है।

इस ऐतिहासिक रामलीला में बिजली,लाउडस्पीकर और अन्य आधुनिक संसाधनों का प्रयोग नहीं होता। खुले आसमान के नीचे मुक्तांगन रंगमंच पर पेट्रोमेक्स की रोशनी में होने वाली रामलीला देखने वाले लीला प्रेमी जमीन पर बैठते हैं।

अलग और अनूठेपन के चलते यूनेस्को की अमूर्त विश्व सांस्कृतिक विरासत में शामिल यह रामलीला 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में अलग-अलग स्थान पर होती है।

पूरे माह भर चलने वाली रामलीला की शुरुआत और समापन नारद वाणी और आरती से होती है। रामलीला के पात्रों की आवाज भी बिना माइक के लोगों को स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। रामलीला प्रतिदिन शाम 5 से शुरू होकर रात 9 बजे तक चलती है।

अंग्रेज इतिहासकार जेम्स प्रिंसप ने लिखा है कि रामनगर की रामलीला 1830 में शुरू हुई थी। ब्रिटिश लाइब्रेरी में भी इसके प्रमाण मौजूद हैं। काशी नरेश महाराज उदित नारायण सिंह के दादा महाराज बलवंत सिंह ने 18वीं शताब्दी के मध्य में इस रामलीला की नींव डाली थी।

काशी के लीला प्रेमी इतिहास के छात्र रहे संजय पांडेय बताते है कि 1962 के भारत.चीन युद्ध के दौरान भी रामलीला बंद नहीं हुई थी । लालटेन की रोशनी में आयोजित रामलीला की रोशनी बाहर न जाए, इसके लिए लालटेन की रोशनी को पेड़ के पत्तों से ढंका गया था।

ताकि रोशनी देख दुश्मन इस पर बमबाजी न करने पाये। रामनगर की रामलीला में केवल पुरुषों द्वारा ही सभी पात्रों की भूमिका निभाई जाती है।

भगवान राम, उनके भाइयों और सीता की भूमिकाएं पुरुष ही निभाते हैं। किरदारों का चयन काशीराज परिवार की देखरेख में राजपुरोहित रहा ब्राह्मण परिवार करता है। सभी चयनित कलाकारों को दो महीने का कठिन अभ्यास करना होता है। पात्र रामचरित मानस और रामकथा के विद्वानों के साथ रहते हैं।

नियमित रूप से रामायण का पाठ करते हैं। कलाकारों को रामलीला कार्यकर्ताओं के कंधों पर लादकर रामलीला स्थल तक ले जाया जाता है । 30 दिन तक चलने वाली रामनगर की रामलीला में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु जुटते रहें है। ऐसे हजारो लोग जो हर दिन शुरू से अंत तक रामलीला देखने पहुंचते है उन्हे ‘नेमी’ कहा जाता है।

पांडेय बताते हैं कि रामलीला की शुरुआत काशी नरेश के आगमन से होती है। उनका स्वागत ‘हर हर महादेव’ के गगनभेदी जयघोष द्वारा किया जाता है। रामलीला में हर प्रसंग के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित है।

रामचरितमानस में वर्णित स्थलों अयोध्या, जनकपुर, चित्रकूट, लंका, पंचवटी, वाटिका, रामबाग आदि प्रमुख स्थल यहां भी चार किमी की परिधि में है। लीला आरंभ होने से पूर्व प्रमुख पात्रों की पूजा भी की जाती है।

प्रत्येक अध्याय के समापन पर रामायण मंडली द्वारा आरती, हर-हर महादेव ,बोलो राजा रामचंद्र की जय का उद्घोष होता है। एक.एक कर रामलीला के प्रसंगों का मंचन होता है। रामजन्म, धनुष यज्ञ, राम.सीता विवाह, भरतमिलाप आदि कुछ प्रसंग देखने के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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